मुख्य बातें: श्रीमद भागवत कथा कहते वृंदावन से आए कथावाचक श्रीगोरंग दास,श्रीमद भागवत कथा सुनने को श्रद्धालुओ की भीड़ से खचाखच भरा पंडाल।
जाले। मानव को कभी अहंकार में नहीं आना चाहिए हमें सत्य के मार्ग पर सत्कर्म करते हुए सतत आगे बढ़ना चाहिए। मौसम प्रतिकूल हो रहा है,जलवायु परिवर्तन पर चिंता जताते हुए प्रकृति को बचाने का आह्वान किया।
अपने प्रवचन में कहा की सत्य के मार्ग पर सत्कर्म करते हुए सतत आगे बढ़ना चाहिए। मानव की केवल पद की पूजा ठीक नहीं है।
यह बातें रतनपुर गांव के गंगेश्वरस्थान रोड में आयोजित श्रीमद भागवत ज्ञान सप्ताह यज्ञ में बुधवार को भगवान श्रीकृष्ण की गोवर्द्धन लीला की कथा सुनाते हुए वृंदावन से आए संत सह कथावाचक गौरांग दासजी महाराज ने कही।
उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्द्धन लीला के माध्यम से देवराज इंद्र के अहंकार को तोड़ा था। देवराज इंद्र काफी अहंकारी हो चले थे। श्रीगौरांग दास ने कहा कि तत्कालीन ब्रज की संपूर्ण व्यवस्था कृषि आधारित थी।
इसलिए गोवर्द्धन पर्वत में ब्रजवासियों का प्राण बसता था। ब्रजवासियों के हृदय में गोवर्द्धन के प्रति आस्था और समर्पण को नहीं समझ कर इंद्र ने बहुत बड़ी भूल की थी। उन्हें अहंकार हो चला था।
इंद्र के अहंकार को तोड़ने के लिए ही भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्द्धन की लीला की थी। श्रीगौरांग दास ने कहा कि हमें कभी अहंकार में नहीं आना चाहिए। हमें सत्य के मार्ग पर सत्कर्म करते हुए सतत आगे बढ़ना चाहिए।
उन्होंने वर्तमान में पर्यावरण की स्थिति को देखकर आह्वान किया कि हमें प्रकृति से जुड़ना चाहिए। केवल पद की पूजा ठीक नहीं है। आज हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यदि हम भगवान श्रीकृष्ण के दिए संदेशों का अनुशरण नहीं किए तो सृष्टि का असंतुलित होना सुनिश्चित है। सृष्टि असंतुलित हुई तो, विनाश का समय आ जाएगा।
कथा के बीच बीच में नवोदित गायक ऋषभ भारद्वाज एवं उनके पिता गोपेश झा (लगमा) के संगीतमय भजन का श्रद्धालु लुत्फ लेते रहे। भगवान के जयकारे से यह कथा स्थल गूंजायमान होता रहा।
कथा के दौरान यजमान राम किशोर ठाकुर, जगतगुरु श्रीराधाबल्लभ दासजी महाराज के अनन्य शिष्य श्री उद्धव दास, बर्रे मोहन दास, ब्रजेश दास, शशिभूषण दास आदि संत-वैष्णवों ने भी कथा सुनी। कथा सुनने के लिए इलाके के श्रोताओं से कथा पंडाल खचाखच भरा हुआ था।
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