देवघर में विश्व प्रसिद्ध राजकीय श्रावणी मेले की शुरुआत हो गई है। बिहार के सुल्तानगंज स्थित उत्तरवाहिनी गंगा से लेकर झारखंड के देवघर स्थित बाबाधाम तक 108 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में यह एशिया का सबसे लंबा मेला माना जाता है।
इस बार यह मेला दो महीने तक चलेगा। हिंदुओं के धार्मिक पंचांग के अनुसार इस बार श्रावण के बीच में ही एक महीने का अधिकमास पड़ रहा है। इस वर्ष श्रावणी मेला 2 महीने का होगा क्योंकि, मेले के बीच में ही 1 महीने का मलमास पड़ रहा है।
ऐसे में श्रावणी मेले का पहला चरण 4 जुलाई से 16 जुलाई तक और दूसरा चरण 16 अगस्त से 31 अगस्त तक रहेगा इस बीच 17 जुलाई से 15 अगस्त तक मलमास का महीना रहेगा। लेकिन जिला प्रशासन ने मेले की तैयारी चरणबद्ध तरीके से ना कर इसे पूरे 2 महीने तक के लिए किया है।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर में वीआईपी, वीवीआईपी और आउट ऑफ टर्न दर्शन की व्यवस्था पूरी तरह बंद कर दी गई है। मंदिर में ज्योतिर्लिंग की स्पर्श पूजा की भी अनुमति नहीं दी गई है। दर्शनार्थियों की सुविधा के मद्देनजर अरघा के माध्यम से जलार्पण की व्यवस्था की गई है।
इस वर्ष शीघ्रदर्शनम की व्यवस्था में परिवर्तन किया गया है। ऑनलाइन कूपन जारी करने वाले सॉफ्टवेयर को अपडेट कर शिकायतों को दूर करने का प्रयास किया गया है। शीघ्रदर्शनम कूपन में तुरंत बिलिंग के लिए पुरोहितों का डाटाबेस तैयार किया जायेगा।
इसमें पुरोहित के नाम, मोबाइल नंबर के साथ क्यू आर कोड रहेगा ताकि, बिलिंग करने में देर न हो और कूपन लेने वाले पुरोहित का पूरा ब्यौरा बिलिंग काउंटर पर लगे बड़े एलईडी स्क्रीन पर दिखाई दे। इतना ही नहीं, नई व्यवस्था के तहत इस वर्ष शीघ्रदर्शनम की कतार नाथबाड़ी से लगेगी।
इसके बाद कंवड़ियों की कतार बाबामंदिर के संस्कार मंडप से होते हुए फुटओवर ब्रिज तक लगेगी। कतार क्यू कॉम्प्लेक्स, नेहरू पार्क, जलसार चिल्ड्रन पार्क, बीएड कॉलेज और नंदन पहाड होते हुए कुमैठा तक पहुंचने की संभावना है।
मेले के उद्घाटन के बाद ही बिहार के सुल्तानगंज से लेकर देवघर और दुमका स्थित बासुकीनाथ मंदिर तक का इलाका बोल-बम के नारों से गुंजायमान है। सोमवार को गुरु पूर्णिमा के दिन हजारों कांवड़ियों ने सुल्तानगंज में पवित्र गंगा नदी से जल उठाया और देवघर तक की 108 किमी लंबी यात्रा के लिए निकल पड़े।
पूरे रास्ते में महीन रेत गिराई गई है, ताकि पैदल कांवड़ियों को सहूलियत हो। इसके अलावा उन पर जगह-जगह कृत्रिम जल वर्षा की भी व्यवस्था की गई है। रास्ते में बिहार एवं झारखंड सरकार के साथ-साथ सैकड़ों संस्थाओं की ओर से सेवा एवं विश्राम शिविर बनाए गए हैं।
सुल्तानगंज से लेकर देवघर और दुमका स्थित बासुकीनाथ मंदिर तक का इलाका बोल-बम के नारों से गुंजायमान है। सोमवार को गुरु पूर्णिमा के दिन हजारों कांवड़ियों ने सुल्तानगंज में पवित्र गंगा नदी से जल उठाया और देवघर तक की 108 किमी लंबी यात्रा के लिए निकल पड़े। पूरे रास्ते में महीन रेत गिराई गई है, ताकि पैदल कांवड़ियों को सहूलियत हो। इसके अलावा उन पर जगह-जगह कृत्रिम जल वर्षा की भी व्यवस्था की गई है। रास्ते में बिहार एवं झारखंड सरकार के साथ-साथ सैकड़ों संस्थाओं की ओर से सेवा एवं विश्राम शिविर बनाए गए हैं।
इससे पहले, झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने बिहार-झारखंड की सीमा स्थित दुम्मा में आयोजित एक कार्यक्रम में इसका उद्घाटन किया। देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने बताया कि मेला क्षेत्र में होल्डिंग पॉइंट,आवास, पेयजल, शौचालय, स्वास्थ्य सुविधा, साफ-सफाई पर भी निगरानी की जा रही है। मेला क्षेत्र में प्रतिनियुक्त अधिकारियों, दंडाधिकारियों, पुलिस पदाधिकारियों को सेवा भाव और विनम्रता से सक्रिय रहने का निर्देश दिया गया है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बाबाधाम भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। सावन महीने में लाखों भक्त बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर 108 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हुए देवघर पहुंचकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। देवघर में जलाभिषेक के बाद ज्यादातर श्रद्धालु दुमका स्थित बासुकीनाथधाम भी जाते हैं। अनुमान है कि दो महीने तक चलने वाले श्रावणी मेले में इस बार एक करोड़ से भी ज्यादा लोग पहुंच सकते हैं।