राष्ट्रीय जांच एजेंसी की ओर से प्रतिबंधित संगठन पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) के मोतिहारी मॉड्यूल का खुलासा होने और इस संगठन के मुख्य ट्रेनर याकूब खान उर्फ सुल्तान की गिरफ्तारी के बाद जांच एजेंसी को कई अहम जानकारी मिली है। वह हथियारों का एक्सपर्ट है, इस कारण ही संगठन के स्लीपर सेल ट्रेनिंग देने का काम सौंपा था।
उसके पास से इस तरह के कई मैसेज और सामग्रियां भी बरामद हुई हैं। वह सभी जुड़े लोगों को हिंसा भड़काने से जुड़े एजेंडे को समझाता था और उग्र धार्मिक मानसिकता का प्रचार-प्रसार करता था। सोशल मीडिया का उपयोग कर इस पर लोगों की भावना को भड़काने वाले संदेशों या वीडियो को अपलोड करके समुदायों के बीच नफरत फैलाने का काम भी यहीं से करता था।
वहीं, जांच में यह भी जानकारी मिली है कि याकूब एक वैसे वाट्सएप ग्रुप का भी एडमिन था, जिसमें पूर्वी चंपारण,सीतामढ़ी, शिवहर दरभंगा, मधुबनी, गोपालगंज और मुजफ्फरपुर सहित कई अन्य जिलों के कट्टर और विध्वंसक मानसिकता वाले लोग जुड़े हुए थे।
इसके माध्यम से वह देश विरोधी और एक समुदाय विशेष के विरूद्ध घृणा फैलाने का काम करता था। वह बेरोजगार व भटके हुए युवाओं के मन में धार्मिक कट्टरता भावना को भरकर आतंकी गतिविधियो में शामिल होने के लिए ब्रेन वाॅश करने का काम करता था।
बताया गया है कि 22 वर्षीय याकूब सुल्तान दुबई में छुपे मो. सज्जाद आलम, रेयाज मो. आरिफ, मो. बिलाल सहित कई अन्य भारत विरोधी आतंकियों के निरंतर संपर्क में था।जिनके निर्देश पर भटके लोगो के लिए ट्रेनिंग कैंप का संचालन करता था। याकूब सुल्तान वाट्सएप काॅल के माध्यम से लगातार इन लोगों से बात भी करता था। जांच एजेंसी को इस आशय का कई चैट और कॉलिंग के प्रमाण भी मिले हैं।
पूछताछ के दौरान याकूब ने इस बात का खुलासा किया है कि एनआईए और एटीएस की छापेमारी के पूर्व वह बेतिया जाकर कुछ दिनों के लिए छिपा था। जहां से वह नेपाल के पोखरा जाकर इस मामले के दूसरे प्रमुख आरोपी मो. इरशाद आलम के साथ रहने लगा।
लेकिन, बीते 18 मार्च को मो. इरशाद की गिरफ्तारी के बाद वह मुंबई के धारावी में अपने रिश्तेदारो के साथ रहने लगा। मुंबई से वह अप्रैल में लौटकर आने के बाद वह पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर में कई करीबियों से निरंतर संपर्क में रहा।