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25 नवम्बर, 2024
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Darbhanga के जाले में वैज्ञानिकों ने कहा, मिथिला की मिट्‌टी और पानी मछली पालन के लिए उपयुक्त, आयात पर लग सकती है रोक

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जाले, देशज टाइम्स् ब्यूरो। कृषि विज्ञान केंद्र, जाले के सभागार में शुक्रवार से जिला के सभी प्रखंडों के ग्रामीण युवक एवं युवतियों के लिए मत्स्य बीज उत्पादन विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ।

इस प्रशिक्षण में दरभंगा जिला के विभिन्न प्रखंडों के प्रशिक्षु प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। प्रशिक्षण का आरंभ केंद्र के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. पूजा कुमारी की देख रेख में किया जा रहा है। वैज्ञानी डॉ. पूजा ने बताया मिथिलांचल के धरती की मिट्टी एवम पानी जलवायु मछली पालन के लिए उपयुक्त है। आज भी पारंपरिक पोखर तालाब विद्यमान है।

इसके लिए मछली बीज की बहुत अधिक मांग को देखते हुए मत्स्य पालक किसानों को प्रशिक्षण देकर मछली। पालन विषय पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। केंद्र के मत्स्य वैज्ञानिक डॉ. जगपाल ने बताया कि किसानों को मछली पालक किस तरह किया जाए इस विषय पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के बाद बेरोजगारों युवाओं को रोजगार का नया अवसर प्राप्त हो सकेगा। साथ ही बिहार में आने वाले अन्य प्रदेशों से मछली का आयात कम होगी। मछली पालक प्रशिनार्थी किसानों को मत्स्य प्रजनन इकाई खोलने के लिए, सरकार की ओर से अनुदान प्राप्त करने के संदर्भ में भी विशेष जानकारियां दिया जा रहा हैं।

प्रजनन ( इकाई) हैचरी इकाई प्रारंभ कर रोजगार का जीवकोपार्जन का अच्छा साधन बना सकते हैं। प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं को नर और मादा मछली की कैसे पहचान करना है तथा पहचान किए हुए प्रशिक्षण के पहले दिन मछलियों को हार्मोन का इंजेक्शन कैसे देना है इस विषय पर प्रशिक्षित किया गया है।

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