बिरौल अनुमंडल, देशज टाइम्स। बिरौल अनुमंडल का किरतपुर प्रखंड कराह रहा है। किरतपुर की इच्छा, यहां के लोगों की उम्मीद कई पंचायतों की किस्मत कोसी की हिलोर में कैद हो चुकी है। सच मानिए, किरतपुर की कोसी में हिलोर वाली तस्वीर बड़ी धुंधली है…जीवन की ठौर कहां दिखती…खुशी के पल देगा कौन?
जीने की सभी उम्मीदें टूटती नजर आ रहीं जहां खाने को एक-एक अन्न के लाले पड़े हैं। घरों की दीवारें टूट गईं हैं। जीवन की सारी डोर एक के बाद एक पानी की तेज कटाव में बह जाने को बेचैन है।
पूरा प्रखंड पिछले एक सप्ताह की भीषण त्रासदी से त्रस्त हो चुका है। अभी अभी तो कोसी की पानी घरों से निकली है। बाहर का रास्ता थोड़ा दिखने लगा है। उम्मीद की लौ कहीं दूर से टिमटिमाती अभी तक नहीं दिख रही।
ग्रामीण इस वजह से नाराज हैं कि उनकी किसी ने सुनी नहीं। सहरसा जिले के महिषी थाना के गोबराही गांव के समीप स्लुइस गेट को खोलना यहां की तकदीर में छेद कर डाला है। स्लुइस गेट का फाटक मछुआरों ने बंद क्या किया यहां के लोगों की किस्मत ही रूठ गई। अब परेशानियों की जद्दोजहद में यहां के लोग हैं।
इस एक गेट के खुलने से किरतपुर, झगरुआ, कुबौल ढंगा, जग्सो, जमालपुर, झगरुआ तरवाड़ा, खैसा जमालपुर पंचायत के लोगों को पांच महीनें लहू पीकर ही जीना पड़ता है।
अभी कोसी की एक सप्ताह पहले आई बाढ़ ने यहां के गांवों में जो उफान मचाया, तबाही की ऐसी चित्र दिखाई कई लोगों के घरों में पानी की कुलाछें भर गईं। कई घर इससे गिर गए। हजारों एकड़ में धान डूब गई। सब्जी बर्बाद हो गए।
वहीं, गेहूंआ नदी की मार प्रखंड को कहीं से बख्शने को तैयार नहीं है। कल ही पंचायतों के लोगों को बाढ़ राहत दिलवाने की मांग को लेकर मुखिया संघ ने जल संसाधन एवं सूचना जनसंपर्क मंत्री संजय कुमार झा को ज्ञापन सौंपा है। यहां के पीड़ितों की आपबीती सुनाई है। हकीकत से रूबरू कराया है।
वहीं, मंत्री श्री झा ने पीड़ितों को हर संभव सहायता दिलाने की बात कही है। इससे क्षेत्र के कुबौल ढांगा, झगरुआ तरवारा, खैसा जमालपुर,नरकटिया भंडारिया, किरतपुर, झगरुआ, रसियारी पौनी,जमालपुर समेत प्रखंड के सभी गांवों के लगभग अस्सी फीसद लोगों की शायद जीवन में कोई सुधार हो, यही उम्मी करते हैं। उन्हें भुखमरी से बाहर निकाला जा सकेगा। उन्हें जीवन का कोई ठौर मिलेगा।