निरीक्षण के दौरान निदेशक डॉ.अंजनी कुमार ने बताया कि किसान वैज्ञानिक तकनीकी से अपनी से खेती कर अपनी आय दुगुना कर सकते हैं। वशर्तें की किसान अपनी आय बढ़ाने
को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी से संपर्क कर कृषि में नए-नए आयाम को जोड़ कर अपना कृषि उत्पाद बढ़ा कर आय दुगुना बढ़ा सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जलवायु परिर्वतन के इस दौर को विज्ञानी एक चुनौती के रूप में लिया है। जलवायु परिवर्तन को संपूर्ण विश्व झेलने को अभिशप्त है। इसके साथ-साथ हमारा देश भारत भी जलवायु परिवर्तन का सामना कर रहे हैं।
हमें अपने पारंपरिक कृषि कार्य में प्राकृतिक समय के साथ मानव को उचित वातावरण नहीं मिल पा रहा है, जिसके कारण फसल उत्पादन में वृद्धि नहीं देखी जा रही है,अगर हमें कृषि
कार्य को करना है, तो यहां के किसानों को मौसम अनुकूल खेती अभी के समय की जरूरत है, जिसे हमें अपनाना होगा हीं होगा। हमें मौसम अनुकूल वातावरण के साथ-साथ ही वैज्ञानिक खेती करने की आवश्यकता आन पड़ी है।
इस मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक व अध्यक्ष डॉ. दिव्यांशु शेखर ने अटारी के निदेशक अंजनी कुमार को मिथिला के परंपरा के अनुसार मिथिला प्रिंट का चादर पाग से सम्मानित किया।
मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र के पौधा संरक्षक वैज्ञानिक डॉ. गौतम कुणाल मत्स्य वैज्ञानिक डॉक्टर जब का जगपाल प्रक्षेत्र प्रबंधक डॉ. चंदन गृह वैज्ञानिक डॉ. पूजा कुमारी एवं डॉ. अंजलि सुधाकर मौजूद थी।