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24 नवम्बर, 2024
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Darbhanga के जाले में 76780 पशु, दो-दो मंजिला पशु अस्पताल, दोनों खस्ताहाल, कर्मी और सुविधाओं का टोटा, क्या करें किसान…पशु चिकित्सा पदाधिकारी ही नहीं हैं…

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जाले, देशज टाइम्स। नाम बड़े और दर्शन छोटे की उक्ति को चरितार्थ कर रहा है, प्रखंड क्षेत्र में अवस्थित दो-दो प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय। दोनों पशु अस्पताल का भवन दो मंजिला है। लेकिन कर्मी व अन्य सुविधाओं का टोटा इसकी सार्थकता पर प्रश्न चिन्ह लगता है।

प्रखंड पशु चिकित्सा पदाधिकारी का पद वर्षों से रिक्त है। जाले के भ्रमणशील पशु चिकित्सक के प्रभार में यह पद है, मात्र एक प्रखंड पशु चिकित्सा पदाधिकारी हैं। एक अनुसेवक के सहारे हजारों पशुओं की स्वाथ्य की जिम्मेदारी है।

दवाओं की कमी तो जग जाहिर है। पशुओं का समुचित चिकित्सा लाभ पशुपालकों को कितना मिलता हो यह समझा जा सकता। पशु चिकित्सालय की पड़ताल में पता चला कि जाले प्रखंड में दो प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय है।

जाले प्रखंड कार्यालय परिसर में एवं दूसरा कमतौल में दोनो प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय पक्का भवन में चल रहा है। दोनो पशु चिकित्सालय में भ्रमणशील पशु चिकित्सक की है।  लेकिन पशुधन सहायक फार्मासिस्ट कंपाउंडर ड्रेसर सहित अन्य कर्मी नहीं है।

दोनों पशु अस्पतालों में कर्मियों का भीषण टोटा देखा जा रहा है। पशु चिकित्सालय जाले में एक महिला भ्रमणशील पशु चिकित्सक डॉ. शालू पाठक की प्रतिनियुक्ति है,इन्ही के जिम्मे प्रखंड पशु चिकित्सा पदाधिकारी की जिम्मेदारी है। कर्मी के नामपर मात्र 1 अनुसेवक है।

कमतौल में डॉक्टर दिवाकर प्रसाद के साथ दो अनुसेवक एक महिला एक पुरुष है। प्रखंड क्षेत्र में एक लाख से अधिक पशुधन है।दस वर्षो से प्रखंड पशु चिकित्सा पदाधिकारी का पद रिक्त है।

2022 में जाले प्रखंड क्षेत्र के पशु गणना के अनुसार 76780 पशु है, जिसमें गाय की संख्या 15675 है, भैंस 26159 भेड़ की संख्या मात्र दो बकरियां 34666 शुगर 278 है,घोड़ा गदहा भैंसा साढ की संख्या की गणना नही मौजूद है। पशु जनगणना में खेतों को हल जोतने के लिए किसानों के खूंटा पर अब एक भी बैल नहीं दर्शाया गया।

है, जब की आज भी सैकड़ों किसान टायर बैल चलाते है।बैल से खेत की जुताई भी करते है,लेकिन उनके खुटा पर मौजूद दिखा।

समय समय पर आयोजित होने वाले पशु टीकाकारण कार्य संचालन के लिए है, 19 ग्रामीण पशु चिकित्सक के सहारे क्षेत्रों के पशुओं का टीका करण अभियान चलाया जाता है,जिन्हें एक पशुओं के टीकाकृत करने पर उन्हें चार रुपए प्रति टीका की दर से भुगतान किया जाता है।

जिससे उनका परिवार चलना मुश्किल है। सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में वह टीकाकर्मी बीमार पशु की चिकित्सा नहीं करें तो समय पर पशुओं की चिकित्सा के बिना असमय मौत होगी।

अस्पताल में पड़ताल में पता चला कि 2013 में दोनों पशु चिकित्सालय भवन निर्माण कराया गया था। जिसका मरम्मत रंग रोगन संबंधित चिकित्सा पदाधिकारी अपने निजी कोष से करते है। पशु चिकित्सालय में पाए गर्भाधान केंद्र है।

इसमें लिए पशुपालकों से मामूली फीस लेकर गर्भाधान करवाया जाता है। अस्पताल में कुल 60 तरह की दवाई के बदले मात्र 23 तरह की दवाई उपलब्ध थी, अगर इन दवाओं को सभी बीमार पशुपालक को दिया तो जाय एक सप्ताह भी नहीं नहीं चल सकेगा।

भ्रमणशील पशु की चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शालू पाठक ने बताया किसीमित संसाधन में ही पशुओं की चिकित्सा करने का प्रयास करती हूं,अस्पताल आए  बीमार पशुओं  का इलाज हो। पशुओं के इलाज एवम भ्रमण में कर्मियों की भीषण कमी एवं सीमित मात्रा में मिलने वाला दबा की आपूर्ति के बावजूद सभी पशु की समुचित चिकित्सा की चिंता उन्हें है।

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