मुख्य बातें: नवरात्रि गंगा तट वाली वैष्णवी सैदपुर दुर्गा मंदिर की वैष्णवी बलि प्रथा है प्रख्यात, मंदिर की चौखट पर शीश नवाने से सारी मनोकामनाएं होती है पूरी
नवगछिया, देशज टाइम्स ब्यूरो। नवरात्र के अवसर पर शक्ति स्वरूपा मां अंबे के 10 दिवसीय महापर्व दुर्गा पूजा की शुरुआत रविवार से प्रथम मां शैलपुत्री की पूजन के साथ आरंभ है। चारों ओर भक्ति में वातावरण से शराबोर हो रही है।
वहीं, इस अवसर पर नवगछिया से तीनटंगा जाने वाले सड़क के निकट और गंगा तट से सटे सैदपुर गांव स्थित 108 फीट ऊंचे वैष्णवी दुर्गा मंदिर का इतिहास अति प्राचीन है। मंदिर की भव्यता अलौकिक है। मंदिर की छटा ही मनमोहक है। नवनिर्मित भवन की भव्यता को लेकर आसपास सहित अन्य जिलों में चर्चा होती है। ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार इस के स्तंभ और गुंबद पर किए गए दक्षिण भारतीय शैली में कार्य श्रद्धालुओं को मन मुग्ध कर देती है।
इसकी आंतरिक साज-सज्जा पर विशेष ध्यान दिया गया है। करोड़ों की लागत से बना मंदिर की नक्काशी और गर्भगृह की आंतरिक साज-सज्जा, बंगाल, राजस्थान, बनारस, दिल्ली और बंगाल के कई क्षेत्र के कारीगरों की ओर से किया गया है। गर्भगृह से बाहर मंदिर परिसर को राजस्थान के कारीगरों की ओर से सजाया गया है। शारदीय नवरात्र महोत्सव पर बंगाल के मूर्तिकारों की ओर से माता की भव्य प्रतिमा बनाई जाती है।
पिछले कई वर्षों से सात्विक विधि से की जा रही है मां दुर्गा की पूजा करोड़ों की लागत से बनी इस मंदिर की स्थापना सन 1962 में हुई थी। सैदपुर के ग्रामीण ठीठर गोसाई की जमीन पर मनोकामना पूर्ण होने पर गोपालपुर के तत्कालीन थानाध्यक्ष बृजभूषण पांडे ने इस मंदिर की स्थापना की थी।
सन् 2011 में ग्रामीणों की उपस्थिति में वर्तमान मंदिर अध्यक्ष महेश कुंवर के नेतृत्व में मंदिर निर्माण समिति का गठन किया गया। 5 मार्च 2012 सोमवार के दिन संत शिरोमणि नवगछिया शिव शक्ति योग पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी आगमानंद जी महाराज का आगमन हुआ। उन्हीं के दिशा निर्देश पर ग्रामीणों के सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण हुआ।
इस मंदिर में प्रत्येक वर्ष शारदीय नवरात्र के अवसर पर कलश स्थापना, प्रतिमा स्थापना के साथ मेले का आयोजन होता है। मेला समिति के अध्यक्ष रजनीश कुमार ने बताया कि प्रथम पूजा रविवार से शनिवार तक मानस कोकिला अर्चना भारती की ओर से संगीतमय कथा होगा।
मंदिर के पंडित आचार्य मोहित कुमार झा ने बताया कि प्रत्येक दिन दुर्गा सप्तशती पाठ के साथ संध्या महाआरती का विशेष कार्यक्रम होता है। वैष्णवी बलि के लिए प्रख्यात है ,यह मंदिर। इसमें कुष्मांड, ईख, नैनूवा, नींबू, लड्डू का प्रथम पूजा ,निशा पूजा और नवमी के दिन वैष्णवी बलि दिया जाता है। अष्टमी के मध्य रात्रि 56 प्रकार के भोग लगाये जाते हैं। भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।