जाले, देशज टाइम्स। ग्रामीण युवक एवं युवतियों को स्वनिर्मित सामग्रियों से स्वरोजगार कर आत्मनिर्भर बनाने को लेकर मोमबत्ती बनाने की विधि पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम कृषि विज्ञान केंद्र जाले गुरुवार से प्रारम्भ हो (Darbhanga candles will be lit on Diwali, Birthday, Christmas Day and religious rituals) गया।
कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉक्टर दिव्यांशु शेखर ने बताया कि मोमबत्ती उद्योग एक ऐसा व्यवसाय है जिसे शुरु करने में बहुत ज्यादा लागत की जरूरत नहीं पड़ती है,मोमबत्ती निर्माण उद्योग में रोजगार की असीम संभावना है।
इसका उपयोग दीपावली बर्थ-डे, क्रिसमस डे उद्घाटन या धार्मिक स्थलों आदि के अवसरों में अधिक होता है। यह व्यवसाय ग्रामीण महिलाओं के लिए भी रोजगार का एक अच्छा अवसर हो सकता है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की संचालिका गृह वैज्ञानिक पूजा कुमारी ने बताया की इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जाले, जोगियारा, मुरैठा, रजौन, दरमा, बिरने, मस्सा, दोघरा, लतराहा, रतनपुर आदि गांवों से ग्रामीण युवक एवम युवतियां शामिल हुई।
प्रशिक्षण के पहले दिन गृह विज्ञानी पूजा कुमारी ने मोमबत्ती उद्योग में उपयोग में आने वाले कच्चे सामानों जैसे की मॉम तथा इसके प्रकार, मोमबत्ती बनाने में उपयोग होने वाले अलग अलग फ्रेम, धागा, रंग आदि की जानकारी दी।
पूजा कुमारी ने बताया कि अगर कोई ग्रामीण इस व्यवसाय को शुरू करना चाहता है तो वह कम से कम दस हजार की लागत पूंजी से इसका शुरुआत कर सकता है। साजवटी मोमबत्ती बनाने के लिए मिट्टी का दिया, कुल्हड़, अलग-अलग प्रकार के सांचे, कांच के छोटे बोतल इत्यादि का उपयोग भी किया जा सकता है।
ग्रामीण इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए कच्चे सामन मुजफ्फरपुर या पटना या अपने नजदीकी शहर से प्राप्त कर सकते हैं। कार्यकम के दौरान विज्ञानी डॉ पवन शर्मा, तथा केन्द्र के अन्य कर्मी उपस्थित थे।