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27 जुलाई, 2024
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मांझी ने CM नीतीश को बोला ‘क्रेडिटखोर‘

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पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने सीएम नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोला है। मामला, नियोजित शिक्षकों से जुड़ा है जहां मांझी ने कहा कि पहले ही वह फैसला ले लिया था लेकिन जीतनराम मांझी ने नीतीश को (jitan-ram-manjhi-called-nitish-kumar-a-creditkhor-cm) बताया ‘क्रेडिटखोर…पढ़िए पूरी खबर’ मांझी ने CM नीतीश को बोला ‘क्रेडिटखोर‘

बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने ट्वीट कर नीतीश को ‘क्रेडिटखोर मुख्यमंत्री’ बताया है। जीतनराम मांझी ने कहा कि नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने का फैसला उनकी सरकार में ही ले लिया गया था। लेकिन तब नीतीश ने ही इसका विरोध किया था। पढ़िए पूरी खबर

जीतन मांझी ने कहा है कि सभी नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने का फैसला तो मैंने अपनी सरकार में ही ले लिया था। क्रेडिट लेने के लिए नीतीश कुमार ने मेरे फैसले को गलत बताकर रद्द कर दिया।

दरअसल,सीएम नीतीश ने आज मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी होने के फैसले पर मोहर लगाई है। इसके लिए नियोजित शिक्षकों को पहले सक्षमता परीक्षा पास करनी होगी, जिसके लिए उन्हें 3 मौके दिए जाएंगे।

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इस परीक्षा को पास करने के बाद सहायक शिक्षक के रूप में उनकी नियुक्ति स्कूलों में होगी। उन्हें सामान वेतनमान और अन्य लाभ सभी लाभ मिलेगा जो एक राज्यकर्मी को दी जाती है। वहीँ जो शिक्षक बीपीएससी परीक्षा पास कर चुके हैं उन्हें सक्षमता परीक्षा देने की कोई आवश्यकता नहीं है। पढ़िए इसपर मांझी ने क्या कहा….

पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार को क्रेडिटखोर सीएम बताया है। मांझी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर नीतीश को घेरते हुए कहा कि नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्ज़ा उन्होंने खुद के सीएम रहते हीं दे दिया था।

तब नीतीश कुमार ने गलत फैसला बताते हुए इसे रद्द कर दिया था। आज उसी फैसले पर उन्होंने मुहर लगा दी है। इससे उन्होंने ये सिद्ध कर दिया है कि मेरा हर फैसला सही और राज्य हित में होता है। क्रेडिटखोर सीएम।

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दरअसल, 2014 के लोकसभा चुनाव में जदयू के खराब प्रदर्शन के कारण नीतीश कुमार ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देकर मांझी को इसकी कमान सौंप दी थी, परंतु समय और परिस्थिति बदलने के साथ उन्होंने मांझी को सीएम पद से हटने पर विवश कर दिया

और खुद फिर से सीएम की कुर्सी संभाल ली। इससे नाराज चल रहे मांझी बीच में फिर नीतीश से जुड़े लेकिन फिर जदयू में विलय की बात पर ऐसे बिदके सरकार से अलग हो गए। इतना ही नहीं भाजपा की गोद में चले गए।

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बता दें कि सर्वप्रथम शिक्षा मित्र के रूप में 1500 मानदेय पर इनकी नियुक्ति हुई थी। फिर बाद में इन्हें नियोजित शिक्षक का दर्ज़ा देकर इनकी नौकरी स्थाई कर दी गयी। तब इन्हें 22000 से 30000 मानदेय दिया जाने लगा था। लेकिन इन्हें तब भी राज्यकर्मी का दर्ज़ा नहीं दिया गया था। अब कैबिनेट की बैठक में सीएम ने नए साल की सौगात देते हुए इन्हें राज्यकर्मी का दर्ज़ा देने का निर्णय लिया है।

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