उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की 80 सीटों में से रायबरेली (Raebareli) लोकसभा सीट (LokSabha Seat) एक मात्र ऐसी सीट है जहां कांग्रेस (Congress) पूरी शिद्दत के साथ चुनाव लड़ रही है।
बाकी की 16 सीटों पर तो उसे जीत के लिये समाजवादी पार्टी का ही सहारा है। रायबरेली (Raebareli) की जीत को गांधी परिवार ने साख का सवाल बना लिया है तो बीजेपी राहुल गांधी की साख को ‘धूमिल’ करने में लगी है। कांग्रेस पार्टी की ओर से राहुल गांधी के प्रत्याशी बनने के बाद चर्चा इस बात की हो रही है कि क्या वो अपने परिवार की इस सीट को बचा पाएंगे?
जहां सोनिया गांधी हमेशा से बड़ी जीत हासिल करती रहती थीं,लेकिन अभी से इस बात पर चर्चा छिड़ी हुई है क्या राहुल गांधी अपनी मॉ की जैसी शानदार जीत हासिल कर सकेंगे। राहुल गांधी अपनी परंपरागत सीट अमेठी को छोड़कर रायबरेली (Raebareli) से चुनाव लड़ने आये जरूर हैं,लेकिन इसके पीछे का सबसे कारण यह है कि कांग्रेस को लगता है कि राहुल के लिए रायबरेली (Raebareli) अमेठी के मुकाबले सुरक्षित है. पर रायबरेली (Raebareli) जीतने के लिए बीजेपी पिछले पांच साल से काम कर रही है, जबकि कांग्रेस ने प्रत्याशी का फैसला ही नामांकन दाखिल करने के अंतिम दिन 03 मई को किया था। हालांकि इसके बावजूद गांधी परिवार की इस परंपरागत सीट पर राहुल गांधी की जीत की उम्मीद और पराजय का डर बराबर का बना हुआ है। इसी लिये प्रियंका गांधी के साथ-साथ कांग्रेस के कई कद्दावर नेता रायबरेली (Raebareli) में डेरा डाले हुए हैं।
वहीं बीजेपी की तरफ से ऐसी चर्चाओं को हवा दी जा रही है कि रायबरेली (Raebareli) जीतने के बाद राहुल गांधी वायनाड के लिए इस सीट से इस्तीफा दे सकते हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश का बयान भी इस बात पर मुहर लगा रहा है। जयराम रमेश ने कहा है कि प्रियंका गांधी के लिए प्लान बी तैयार है। उस प्लान बी को राहुल के रायबरेली (Raebareli) जीतने के बाद लागू किया जाएगा। वैसे कहा यह भी जा रहा है कि हो सकता है कि राहुल गांधी रायबरेली (Raebareli) जीतने के बाद वायनाड में ही बने रहें. क्योंकि केरल में जल्द हीविधानसभा चुनाव होने हैं।
बहुत उम्मीद है कि इस बार केरल में कांग्रेस नेतृत्व वाले गठबंधन यूडीएफ की सरकार बने. इसलिए यह तय है कि राहुल गांधी वायनाड नहीं छोड़ेंगे.अगर जनता के बीच ये संदेश चला जाता है कि राहुल गांधी रायबरेली (Raebareli) जीतने के बाद यहां से रिजाइन कर देंगे तो निश्चित है कि कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो जाएगा।
उधर, राहुल गांधी और कांग्रेस से इत्तर बीजेपी प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह पिछले पांच साल से रायबरेली (Raebareli) से चुनाव जीतने के लिए लगे हुए हैं. बीजेपी भी 2019 में दिनेश प्रताप सिंह के चुनाव हारने के बाद उन्हें भविष्य के सांसद के रूप प्रोजेक्ट करती रही है। दरअसल बीजेपी रायबरेली (Raebareli) में अमेठी मॉड्यूल पर काम कर रही है। जैसे स्मृति इरानी 2014 में चुनाव हारने के बाद 5 साल सांसद के रूप प्रोजेक्ट करती रही है।
कांग्रेस के गढ़ रायबरेली (Raebareli) में कमल खिलाने के लिए भाजपा हर मोर्चे पर प्रयासरत हैं। इसी लिये भाजपा प्रत्याशी दिनेश सिंह से नाराज चल रहे विधायकों को मनाने प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी स्वयं संभाले हुए हैं। प्रदेश अध्यक्ष ने पहले पार्टी कार्यालय पर बैठक की, उसके बाद सदर विधायक अदिति सिंह से मिलले उनके आवास गए। वहां पर करीब एक घंटे तक उनके साथ बैठक की। उसके बाद भूपेंद्र चौधरी पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं के साथ ऊंचाहार से विधायक डॉ. मनोज पांडे के गोराबाजार स्थित उनके आवास पहुंचे।
यहां पर भी उन्होंने करीब एक घंटे तक ऊंचाहार विधायक से बात की। पार्टी सूत्रों के मुताबिक प्रदेश अध्यक्ष ने अधिकतर समय ऊंचाहार विधायक के साथ अकेले में बिताया। देर रात तक पदाधिकारियों की बैठकी रही, डॉ. मनोज पांडे भी के घर पर ही रही। दोनों विधायकों से मुलाकात को लेकर प्रदेश अध्यक्ष का कहना था कि दोनों से चुनाव में लगने का निवेदन करने गया था। पार्टी कार्यालय पर हुई बैठक में कार्यकर्ताओं से चुनाव में जुटने का आवाहन किया। कार्यकर्ताओं से वोट परसेंट बढ़ाने की भी अपील की। इसके लिए सभी को जनसंपर्क करने के लिए कहा गया।बीजेपी की सदर विधायक अदिति सिंह का कहना था कि प्रदेश अध्यक्ष से शिष्टाचार भेंट हुई। महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई। जिला अध्यक्ष बुद्धिलाल पासी ने बताया कि पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के लिए प्रदेश अध्यक्ष ने रायबरेली (Raebareli) का दौरा किया। दोनों विधायकों से मुलाकात कर भाजपा प्रत्याशी को जिताने की अपील की।
रायबरेली (Raebareli) लोकसभा सीट के जातीय और सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां बीजेपी मजबूत स्थित में दिख रही है. करीब 11 फीसदी ब्राह्मण, करीब नौ फीसदी राजपूत हैं जो आजकल बीजेपी को वोट करते हैं. जबकि मुस्लिम 6 फीसदी और 7 फीसदी यादव वोटर्स हैं. जाहिर है कि यहां समाजवादी पार्टी के कोर वोटर्स कम हैं. समाजवादी पार्टी चूंकि कांग्रेस के साथ ही है इसलिए ये वोट राहुल गांधी को जा सकते हैं. हालांकि बीएसपी ने ठाकुर प्रसाद यादव को खड़ाकर यादव वोटों में सेंध लगाने की तैयारी कर दी है।
सबसे खास बात यह है कि रायबरेली (Raebareli) लोकसभा क्षेत्र में कुल करीब 34 फीसदी दलित मतदाता हैं। पिछली बार दलित वोट सोनिया गांधी को जरूर मिला होगा, क्योंकि समाजवादी पार्टी और बीएसपी ने मिलकर चुनाव लड़ा थ और दोनों ने ही रायबरेली (Raebareli) से अपने प्रत्याशी नहीं खड़े किए थे।
इसके अलावा लोध 6 फीसदी, कुर्मी 4 फीसदी के करीब हैं, जो आज की तारीख में बीजेपी के कोर वोटर 23 फीसदी अन्य वोटों में कायस्थ-बनिया और कुछ अति पिछड़ी जातियां हैं जो बीजेपी के वोट देती हैं।