इसका खुलासा करते हुए सिटी एसपी केरामदास ने बताया कि उन्नीस अक्टूबर को प्रतिबिंब पोर्टल की निगरानी के दौरान एक मोबाइल नंबर संदिग्ध मिला। इसका लोकेशन भागलपुर पाया गया।
इसके विरुद्ध शिकायत देश के अलग-अलग हिस्सों में पाए गए, जो लगभग 2 लाख 70000 हजार रुपया साइबर धोखाधड़ी से संबंधित था। इसके बाद सीनियर एसपी के निर्देश पर साइबर थाना अध्यक्ष अकील अहमद के नेतृत्व में विशेष टीम का गठन किया गया।
जानकारी के अनुसार,यह गिरोह पिछले तीन महीनों से अपना नेटवर्क एक्टिव किए हुए था।इन महीनों में करोड़ों की ठगी यह गिरोह कर चुका है। पुलिस की पूछताछ में धराए अपराधिययों ने जो बताया उसे सुनकर पुलिस भी चौक गई है।
साइबर थाना अध्यक्ष अकील अहमद के नेतृत्व में गठित विशेष टीम ने जब कार्रवाई तेज करते हुए बरारी थाना क्षेत्र के मनाली चौक के समीप एक मकान में छापेमारी की। वहां फर्जी सेल्स एडवर्टाइजमेंट सेंटर से साइबर क्राइम करने के तरीके देखकर पुलिस अचंभित रह गई। इस दौरान बंगाल के 24 परगना नॉर्थ के रहने वाले राहुल उर्फ जीशान अली जो साइबर ठग गिरोह का मास्टरमाइंड भी है, वह अपनी पत्नी और मित्र मो. छोटू और छोटू की गर्लफ्रेंड के साथ मिलकर गिरोह का संचालन कर रहा था। साथ ही स्थानीय भागलपुर की भोली भाली लड़कियों को कॉल सेंटर में काम करने का लोभ देकर उसे साइबर ठगी के धंधे में लगा देता था।
भागलपुर में लगभग 6 महीने से यह गिरोह सक्रिय था और अब तक इस गिरोह के द्वारा देश के अलग-अलग हिस्सों से डेढ़ करोड़ रुपया की ठगी कर चुका है। सिटी एसपी के. रामदास ने बताया कि अब तक छह युवतिओं सहित 10 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। ठग गिरोह में पश्चिम बंगाल, भागलपुर और जमुई के साइबर ठगों की संलिप्ता सामने आई है। जल्द ही साइबर ठग गिरोह के बचे हुए सदस्य सलाखों के पीछे होंगे।
इससे पहले पुलिस को एक शिकायत मिली थी जिसके आधार पर पुलिस ने इस गिरोह का पता लगाया। स्थानीय लोगों की मदद से पुलिस ने गिरोह के ठिकाने तक पहुंची। इस मामले में साइबर ठगों ने बड़े पैमाने पर लोगों को निशाना बनाया। इन ठगों का ठिकाना भागलपुर में घूरन पीरबाबा चौक के पास एक मकान में था। यहीं से गिरोह सक्रिय था।
साइबर ठगी का खेल मोबाइल नंबरों की बिक्री कर किया जा रहा था। साइबर ठगों ने गुरुग्राम की एक डॉक्टर, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के व्यापारी, पांडिचेरी, गोवा आदि के कई अन्य लोग को अपना शिकार बनाया था। गुरुग्राम की डॉक्टर ने जो प्रोडक्ट खरीदा था। उसी के नाम पर लकी ड्रॉ में आइफोन मिलने की बात कह उनसे हजारों रुपये की ठगी कर ली गई। ठीक वैसे ही ठगों ने अन्य लोगों को भी लालच देकर साइबर ठगी की घटना को अंजाम दिया था।
पहले साइबर ठग दुकानों, मॉल और ऑनलाइन शॉपिंग साइटों से सस्ते में मोबाइल नंबर खरीद रहे थे। फिर इन नंबरों का इस्तेमाल कर लोगों को लकी ड्रॉ, ऑफर आदि के नाम पर कॉल करते थे और उनसे पैसे ठग लेते थे। ठग ठगी के लिए दिल्ली से बैंक खाते और सिम कार्ड मंगवाए जाते थे।