आंचल कुमारी, कमतौल | नाबालिग रोहित (Minor Rohit) की कहानी कुदरत के कहर और उसकी बदकिस्मती का खौ़फनाक उदाहरण बन चुकी है। तीन साल पहले मां और अब पिता की मृत्यु (Death) होने के बाद वह अनाथ हो गया है। यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि मुरैठा गांव (Muraitha Village) की एक सच्ची घटना है।
पिता की मृत्यु के बाद नाबालिग पर परवरिश की जिम्मेदारी
तीन साल के अंतराल में माता-पिता के निधन के बाद नाबालिग रोहित (Minor Rohit) पर खुद के पालन-पोषण की जिम्मेदारी आ गई है। वह अभी खुद नासमझ (Inexperienced) है, तो यह सवाल उठता है कि वह इस जिम्मेदारी को कैसे निभाएगा। जब तक उसके माता-पिता जीवित थे, वह बिना किसी चिंता के अपनी ज़िंदगी जी रहा था।
माँ का निधन (Mother’s Death) तीन साल पहले हुआ था, उसके बाद पिता ने उसकी परवरिश की, लेकिन अब पिता की मृत्यु (Death) ने रोहित पर दुःखों का पहाड़ गिरा दिया है।
रात में दुर्घटना : पिता की मौत और नाबालिग की अनाथता
बुधवार की देर रात कमतौल-जोगियारा पथ (Kamtoul-Jogiyara Path) पर ढढीया मोड़ और उगना महादेव पेट्रोल पंप के बीच एक अज्ञात स्कार्पियो (Unknown Scorpio) और टेंपू की टक्कर हो गई, जिसमें मुरैठा निवासी स्व. शोभाकांत झा (Shobhakant Jha) के 55 वर्षीय पुत्र उपेंद्र झा उर्फ औढर (Upendra Jha) की मौत हो गई।
टेंपू चालक सुजीत चौपाल (Sujit Choupal) का पुत्र गंभीर रूप से घायल हो गया और उसका इलाज चल रहा है। थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर पंकज कुमार (Inspector Pankaj Kumar) ने बताया कि मृतक का शव पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया है, और दुर्घटनाग्रस्त टेंपू को जब्त कर लिया गया है।
टेंपू और स्कार्पियो की टक्कर
बताया जाता है कि उपेंद्र झा (Upendra Jha) कमतौल से वापस घर लौट रहे थे, जब विपरीत दिशा से तेज़ गति से आ रही स्कार्पियो (Scorpio) ने टेंपू को टक्कर मार दी। इसके बाद स्कार्पियो चालक (Scorpio Driver) वाहन सहित घटनास्थल से फरार हो गया। इस दुर्घटना में उपेंद्र झा और टेंपू चालक बुरी तरह जख्मी हो गए थे।
स्थानीय लोगों के सहयोग से दोनों को जाले रेफरल अस्पताल (Jale Referral Hospital) भेजा गया, जहां चिकित्सकों ने उपेंद्र झा को गंभीर स्थिति में डीएमसीएच (DMCH) के लिए रेफर कर दिया। लेकिन वहां पहुंचते ही उपेंद्र झा की मृत्यु हो गई।
नाबालिग रोहित की स्थिति और सवाल
मृतक उपेंद्र झा, क्षेत्र के चर्चित संत देवेंद्र ब्रम्हचारी उर्फ मौनी बाबा (Deviendra Brahmachari) के चचेरे भाई थे। वहीं, मृतक की पत्नी का मृत्यु (Death of Wife) तीन साल पहले हो चुका था। अब परिवार में एकमात्र नाबालिग पुत्र रोहित बचा है, जो अब पूरी तरह से अनाथ (Orphan) हो चुका है।
सभी के मन में यह सवाल गूंज रहा है कि रोहित का पालन-पोषण (Rohit’s Upbringing) और उसकी परवरिश कैसे होगी। यह चिंता अब परिवार और समाज के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है।