दीपक कुमार, गायघाट | पैक्स चुनावों के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी होते ही राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। प्रत्याशी दिन-रात मेहनत कर मतदाताओं को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, मतदाताओं की चुप्पी प्रत्याशियों के लिए चुनौती बन गई है, जिससे चुनावी माहौल और दिलचस्प हो गया है।
प्रत्याशियों की रणनीति:
- रिश्तों का सहारा:
प्रत्याशी अपने रिश्तेदारों और जान-पहचान के लोगों को प्रभावित करने के लिए उन्हें माई-बाप तक कह रहे हैं। - जीत के बाद फायदे का वादा:
कई प्रत्याशी जीतने के बाद होने वाले विकास कार्यों और लाभों का हवाला देकर मतदाताओं को अपनी ओर खींचने का प्रयास कर रहे हैं।
मतदाताओं की चुप्पी:
- मतदाताओं की खामोशी ने प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ा दी है।
- सभी प्रत्याशी इस बात को लेकर आशंकित हैं कि मतदाता आखिरी समय में किसके पक्ष में अपना निर्णय देंगे।
चुनाव के प्रति उत्साह:
- चुनावों को लेकर पंचायतों और आसपास के क्षेत्रों में काफी उत्साह देखा जा रहा है।
- चौक-चौराहों पर चर्चाएं:
प्रत्याशियों के व्यक्तित्व, उनके कार्य और चुनावी वादों को लेकर चौक-चौराहों पर गहन चर्चा हो रही है।
प्रशासन की तैयारी:
बीडीओ संजय कुमार राय ने बताया कि:
- कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतदान कराया जाएगा।
- प्रत्याशियों को आचार संहिता का कड़ाई से पालन करना होगा।
- आचार संहिता के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
निष्कर्ष:
चुनाव का यह सहज और प्रतिस्पर्धात्मक माहौल यह दर्शाता है कि मतदाताओं का रुख आखिरी समय में स्पष्ट होगा। प्रत्याशी जहां अपनी जीत के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं, वहीं प्रशासन निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने की दिशा में प्रतिबद्ध है।
अब देखना होगा कि मतदाता किसे अपना आशीर्वाद देकर विजयी बनाते हैं।