बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने ‘एक देश-एक चुनाव’ के मुद्दे पर केंद्र सरकार का समर्थन करते हुए इसे बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का सपना बताया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार इस सपने को साकार करने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है।
क्या कहा सम्राट चौधरी ने?
सम्राट चौधरी ने कहा कि:
” ‘एक देश-एक चुनाव’ से बार-बार होने वाले चुनावों का खर्च घटेगा। बार-बार चुनाव कराने से जनता के पैसे की बड़ी राशि व्यर्थ होती है, विकास कार्य प्रभावित होते हैं और सुरक्षा बलों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।”
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अगर चुनाव एक बार में संपन्न हो जाएं, तो केंद्र और राज्य सरकारें बिना किसी विघ्न के अपने कामकाज पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी।
प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण
सम्राट चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से प्रधानमंत्री ने ‘एक देश-एक चुनाव’ की महत्ता पर बल दिया था। प्रधानमंत्री ने लोकतांत्रिक नीति का पालन करते हुए सभी दलों से इस व्यवस्था को समर्थन देने की अपील की थी।
“प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रहित में सबका साथ-सबका विश्वास की नीति के तहत यह पहल कर रहे हैं, लेकिन विपक्षी दल इस मुद्दे पर दलगत राजनीति कर रहे हैं।”
कांग्रेस पर निशाना
कांग्रेस पर हमला करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा:
“1952 से 1967 तक कांग्रेस को ‘एक देश-एक चुनाव’ से कोई समस्या नहीं थी, जब वह केंद्र और राज्यों में सत्ता में थी। लेकिन आज जब इसे संवैधानिक रूप देने की बात हो रही है, तो कांग्रेस इसका विरोध कर रही है।”
उन्होंने इसे विरोध की राजनीति करार दिया और विपक्षी दलों से राष्ट्रहित में समर्थन देने की अपील की।
‘एक देश-एक चुनाव’ क्यों है आवश्यक?
- चुनाव खर्च में कमी – बार-बार चुनावों पर होने वाला बड़ा खर्च बचेगा।
- विकास कार्यों में रुकावट नहीं – चुनाव आचार संहिता के कारण विकास परियोजनाएं बाधित होती हैं।
- सुरक्षा बलों पर दबाव घटेगा – बार-बार चुनाव कराने में सुरक्षा बलों की तैनाती पर बोझ पड़ता है।
- सरकारों का फोकस – केंद्र और राज्य सरकारें कार्यनीति पर ज्यादा ध्यान दे सकेंगी।
निष्कर्ष
सम्राट चौधरी के इस बयान के साथ ‘एक देश-एक चुनाव’ पर राजनीतिक बहस और तेज हो गई है। केंद्र सरकार इसे राष्ट्रहित में आवश्यक बता रही है, जबकि विपक्ष इसे असंवैधानिक करार देकर विरोध कर रहा है। आने वाले समय में यह मुद्दा देश की राजनीति में एक बड़ा विवादास्पद मुद्दा बन सकता है।