बिहार को जल्द ही पहला एक्सप्रेसवे मिलने जा रहा है, जिसका नाम आमस-दरभंगा एक्सप्रेसवे (Amas-Darbhanga Expressway) रखा गया है। यह परियोजना भारतमाला परियोजना के तहत स्वीकृत हुई है और इसे राज्य की कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी बदलाव लाने के उद्देश्य से बनाया जा रहा है।
एक्सप्रेसवे का रूट और लंबाई
- यह 189 किलोमीटर लंबा होगा।
- गया जिले के आमस से शुरू होकर दरभंगा के बेला नवादा तक जाएगा।
- यह 7 जिलों और 19 शहरों को जोड़ने वाला छह लेन वाला ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे होगा।
रूट में शामिल प्रमुख शहर और गांव
- आमस, मथुरापुर, गुरारू, पंचानपुर, बेला, इब्राहिमपुर, ओकरी, पभेरा, रामनगर, सबलपुर, चकसिकंदर, दभैच, बहुआरा, शाहपुर बघौनी, शिव नंदनपुर (बूढ़ी गंडक), बासुदेवपुर रामनगर (लहेरियासराय), बेला नवादा (दरभंगा)।
परियोजना के लाभ
- सड़क कनेक्टिविटी में सुधार
- दक्षिण और उत्तर बिहार को जोड़ेगा।
- यात्रा का समय चार घंटे कम होगा।
- दिल्ली-कोलकाता NH-19 और NH-27 को आपस में जोड़ेगा।
- आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
- व्यापार और व्यवसाय गतिविधियों में वृद्धि होगी।
- रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे।
- सड़क दुर्घटनाओं में कमी आने की संभावना है।
- भूमि अधिग्रहण और निर्माण
- परियोजना के लिए 56 गांवों में 1300 एकड़ भूमि अधिग्रहित की गई है।
- इसमें पुल, फ्लाईओवर और इंटरचेंज जैसे संरचनात्मक निर्माण शामिल हैं।
2025 तक पूरा होने का लक्ष्य
इस महत्वाकांक्षी परियोजना का लक्ष्य 2025 तक इसे पूरा करना है। हालांकि, भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण से संबंधित मुद्दे परियोजना की सफलता के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।
बिहार की तस्वीर बदलेगा एक्सप्रेसवे
आमस-दरभंगा एक्सप्रेसवे को बिहार के लिए गेम चेंजर माना जा रहा है। इसके माध्यम से राज्य के सड़क बुनियादी ढांचे में सुधार होगा और यह क्षेत्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
निष्कर्ष:
यह एक्सप्रेसवे न केवल बिहार की कनेक्टिविटी को सुधारने का काम करेगा, बल्कि इसके साथ व्यापार, रोजगार और सामाजिक विकास के नए रास्ते खोलेगा।