दरभंगा। दरभंगा मेडिकल कॉलेज (डीएमसी) के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग (एफएमटी) में शिक्षकों की गंभीर कमी के कारण एमडी कोर्स की सीटों पर नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) कार्रवाई कर सकता है। एनएमसी की टीम किसी भी दिन निरीक्षण के लिए कॉलेज पहुंच सकती है।
प्राचार्य डॉ. अलका झा ने स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर विभाग में चिकित्सकों की तत्काल पोस्टिंग का आग्रह किया है।
27 पदों पर सिर्फ 3 चिकित्सक कार्यरत
एफएमटी विभाग में 27 चिकित्सकों के स्वीकृत पद हैं, लेकिन फिलहाल केवल 3 चिकित्सक ही कार्यरत हैं।
- रिक्त पदों की स्थिति:
- प्रोफेसर: 1 पद खाली।
- एसोसिएट प्रोफेसर: 5 में से सभी पद रिक्त।
- असिस्टेंट प्रोफेसर: 8 में से 7 पद खाली।
- ट्यूटर: 12 में से 11 पद खाली।
- रिटायरमेंट और टेन्योर का संकट:
- विभागाध्यक्ष डॉ. पीके दास सितंबर में रिटायर हो रहे हैं।
- ट्यूटर का टेन्योर अप्रैल में समाप्त हो जाएगा।
- इसके बाद असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. वीएन झा विभाग में अकेले चिकित्सक रह जाएंगे।
कार्यभार से जूझ रहे 3 चिकित्सक
विभाग में केवल तीन चिकित्सकों पर भारी कार्यभार है, जिसमें शामिल हैं:
- छात्रों की पढ़ाई:
- 120 यूजी छात्रों की पढ़ाई का जिम्मा इन्हीं पर है।
- कई बैच की पढ़ाई और परीक्षाओं का प्रबंधन भी यही कर रहे हैं।
- पोस्टमार्टम:
- पूरे जिले से पोस्टमार्टम के लिए शव विभाग में आते हैं।
- पिछले साल 800 से ज्यादा पोस्टमार्टम किए गए।
- न्यायालय में गवाही:
- नियमित रूप से चिकित्सकों को मेडिको-लीगल मामलों में गवाही के लिए कोर्ट जाना पड़ता है।
- मेडिकल बोर्ड और अन्य कार्य:
- मेडिकल बोर्ड, मेडिको-लीगल रिपोर्ट, और प्रशासनिक कार्यों का भी बोझ इन्हीं के कंधों पर है।
एनएमसी निरीक्षण का दबाव
एनएमसी की टीम विभाग की शिक्षकों की कमी और इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थिति पर ध्यान दे सकती है। अगर कमी को पूरा नहीं किया गया, तो:
- एमडी कोर्स की सीटें रद्द हो सकती हैं।
- विभाग के शैक्षणिक कार्य पर गहरा असर पड़ेगा।
प्राचार्य ने मांगी अतिरिक्त चिकित्सकों की तैनाती
प्राचार्य डॉ. अलका झा ने स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर बॉन्ड पोस्टिंग के तहत तीन एमडी उत्तीर्ण चिकित्सकों या चार चिकित्सा पदाधिकारियों की तैनाती का अनुरोध किया है।
- उन्होंने कहा कि यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो विभाग में कार्यरत चिकित्सकों के लिए स्थिति और गंभीर हो जाएगी।
स्थिति पर विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि:
- चिकित्सकों की कमी से छात्रों की शिक्षा और शोध प्रभावित हो रहा है।
- पोस्टमार्टम जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में देरी हो सकती है।
- जल्द नियुक्ति नहीं होने पर डीएमसी को प्रतिष्ठा का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
सरकार से अपेक्षा
- रिक्त पदों पर जल्द से जल्द योग्य चिकित्सकों की तैनाती।
- एनएमसी निरीक्षण से पहले विभाग को सुदृढ़ बनाने के लिए विशेष पहल।
- छात्रों और मरीजों के हितों को ध्यान में रखते हुए दीर्घकालिक समाधान।