मुजफ्फरपुर | बिहार में शराबबंदी कानून को धता बताने वाला एक बड़ा घोटाला सामने आया है। मुजफ्फरपुर के बेला थाना में जब्त की गई शराब को विनष्ट करने की प्रक्रिया के दौरान 17 कार्टन शराब तस्करों के पास बरामद होने से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया।
जांच में सामने आया कि यह शराब बेला थाना परिसर से ही गायब हुई थी, जिसे पुलिस के एक निजी कर्मचारी और ठेकेदार ने मिलकर गायब कर दिया था। घटना के खुलासे के बाद थाना प्रभारी रंजना वर्मा को निलंबित कर दिया गया है।
कैसे हुआ शराब घोटाला?
➡ बेला थाने में पिछले एक साल में जब्त शराब का विनष्टिकरण किया जा रहा था।
➡ इसी दौरान 17 कार्टन शराब चोरी करके एक लग्जरी वाहन में भरकर निकाल दी गई।
➡ विशेष पुलिस टीम ने जब धीरनपट्टी इलाके में एक तस्कर को पकड़ा, तो उसके पास से वही शराब बरामद हुई जो थाना में नष्ट की जा रही थी।
➡ पूछताछ में तस्कर ने बताया कि उसने यह शराब बेला थाना से खरीदी थी।
थाना प्रभारी को किया गया निलंबित
➡ घोटाले की जानकारी मिलते ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारी देर रात बेला थाना पहुंचे।
➡ सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई और शराब चोरी में शामिल ठेकेदार व निजी कर्मचारी को गिरफ्तार कर लिया गया।
➡ थाना प्रभारी रंजना वर्मा को निलंबित कर दिया गया है।
क्या बोले पुलिस अधिकारी?
➡ सिटी एसपी विश्वजीत दयाल ने बताया
पुलिस टीम को गुप्त सूचना मिली थी कि धीरनपट्टी में एक गाड़ी में शराब रखी गई है
➡ जब शराब की जांच की गई, तो पाया गया कि यह वही शराब थी, जिसे बेला थाने में नष्ट किया जाना था।
➡ शराब चोरी में संलिप्त ठेकेदार और थाने के कर्मचारी को हिरासत में लेकर पूछताछ जारी है।
➡ घटना की गहराई से जांच के लिए टाउन डीएसपी सीमा देवी और सिटी एसपी खुद इस केस की निगरानी कर रहे हैं।
बिहार में शराबबंदी और पुलिस की साख पर सवाल
➡ बिहार में शराबबंदी कानून लागू है, लेकिन लगातार शराब तस्करी और भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं।
➡ पुलिस थाने से ही जब्त शराब तस्करों तक पहुंचना इस बात का संकेत है कि सिस्टम में भारी गड़बड़ी है।
➡ इस घटना के बाद बिहार पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
➡ आगे की कार्रवाई में पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि और कौन-कौन इस शराब घोटाले में शामिल था।