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दिसम्बर, 28, 2025

Bihar Education Reform: बदला नियम, Class 1 से 8 तक अब साल में चार मुख्य परीक्षाएं अनिवार्य, जानिए पूरी डिटेल

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पटना। बिहार सरकार शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए लगातार नए कदम उठा रही है। इसी क्रम में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने नया आदेश जारी किया है। इसके तहत राज्य के सभी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के लिए साल में चार मुख्य परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी। यह नई प्रणाली शैक्षणिक सत्र 2025-26 से लागू होगी।

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Bihar Education Reform: चार मुख्य परीक्षाओं का आयोजन

बिहार के स्कूलों में अब छात्रों को साल भर में निम्नलिखित चार मुख्य परीक्षाओं से गुजरना होगा:

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  • प्रथम त्रैमासिक परीक्षा

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  • अर्धवार्षिक परीक्षा

  • द्वितीय त्रैमासिक परीक्षा

  • वार्षिक परीक्षा

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इस पहल का मकसद छात्रों की निरंतर शैक्षणिक प्रगति का आकलन करना और उन्हें पढ़ाई के प्रति नियमित बनाए रखना है।

मासिक मूल्यांकन भी होगा अनिवार्य

  • कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के लिए हर महीने मासिक परीक्षा आयोजित की जाएगी।

  • पहले यह व्यवस्था केवल 9वीं और 11वीं कक्षाओं तक सीमित थी, अब इसे प्राथमिक और माध्यमिक स्तर तक बढ़ाया जा रहा है।

  • मासिक मूल्यांकन से बच्चों की सीखने की गति और समझ का नियमित परीक्षण संभव होगा।

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केंद्रीकृत परीक्षा प्रणाली लागू होगी

  • सभी परीक्षाएं केंद्रीकृत प्रणाली के तहत आयोजित होंगी।

  • SCERT (राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद) द्वारा प्रश्न पत्र और समय सारणी तय की जाएगी।

  • इससे परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और समानता सुनिश्चित होगी।

पहली मासिक परीक्षा की तिथि घोषित

  • 28 अप्रैल से 30 अप्रैल 2025 के बीच पहली मासिक परीक्षा होगी।

  • परीक्षा दो पालियों में आयोजित की जाएगी:

    • पहली पाली: सुबह 7 बजे से 9 बजे तक

    • दूसरी पाली: सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक

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शिक्षा विभाग का उद्देश्य

  • छात्रों की निरंतर प्रगति सुनिश्चित करना।

  • पढ़ाई में नियमितता और मनोरुचि बढ़ाना।

  • समय पर छात्रों की कमजोरियों की पहचान कर सुधार करना।

  • स्कूलों की शैक्षणिक गुणवत्ता में व्यापक सुधार लाना।

निष्कर्ष:
बिहार सरकार की यह नई परीक्षा प्रणाली छात्रों की शिक्षा में गुणवत्ता सुधार की दिशा में एक सशक्त पहल है। इससे न केवल बच्चों की शैक्षणिक दक्षता बढ़ेगी, बल्कि स्कूलों की शैक्षणिक गतिविधियां भी अधिक सक्रिय और संगठित बनेंगी।

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