back to top
5 अगस्त, 2024
spot_img

पूरे बिहार को प्रेरित कर रही मिथिला पेंटिंग की ये क्लास, Darbhanga में अद्भुत पहल

आप पढ़ रहे हैं दुनिया भर में पढ़ा जाने वाला Deshaj Times...खबरों की विरासत का निष्पक्ष निर्भीक समर्पित मंच...चुनिए वही जो सर्वश्रेष्ठ हो...DeshajTimes.COM
spot_img
Advertisement
Advertisement

दरभंगा | जिला के जाले प्रखंड अंतर्गत एक सराहनीय पहल के तहत ग्रामीण युवक-युवतियों के लिए पांच दिवसीय मिथिला पेंटिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का समापन शनिवार को प्रमाण पत्र वितरण के साथ हुआ, जिसमें प्रतिभागियों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया गया।

संस्कृति की विरासत – मिथिला पेंटिंग क्या है?

मधुबनी पेंटिंग, जिसे आमतौर पर मिथिला पेंटिंग कहा जाता है, बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र की एक प्राचीन लोककला है। यह चित्रकला मुख्यतः महिलाओं द्वारा घर की दीवारों और फर्श पर धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक विषयों पर आधारित होती है। इसकी पहचान है – ज्यामितीय डिज़ाइन, प्राकृतिक रंगों का उपयोग, और मिथकीय कथाओं का चित्रण।

कला से रोजगार की ओर बढ़ते कदम

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. दिव्यांशु शेखर, जो कि प्रशिक्षण केंद्र के अध्यक्ष हैं, ने कहा:

यह भी पढ़ें:  मिथिला में फिर गूंजेगा हर-हर गंगेश्वर! 8-9 अगस्त को भव्य राजकीय श्रावणी मेला की तैयारी पूरी, जानिए क्या कुछ है खास

मिथिला पेंटिंग हमारी सांस्कृतिक पहचान है। इसका संरक्षण हम सबकी जिम्मेदारी है। हमारा उद्देश्य है कि ग्रामीण युवाओं को इस कला में दक्ष बनाकर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया जाए।”

उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम युवाओं को न केवल तकनीकी ज्ञान देते हैं, बल्कि उन्हें स्वरोजगार के अवसर भी प्रदान करते हैं।

किन क्षेत्रों से आए प्रतिभागी?

कार्यक्रम की प्रशिक्षिका गृह वैज्ञानिक पूजा कुमारी ने जानकारी दी कि इस प्रशिक्षण में जाले, जोगियारा, पकटोला, रतनपुर, और कमतौल गांवों से कुल 19 युवक-युवतियों ने भाग लिया। सभी ने पूरे उत्साह के साथ प्रशिक्षण पूर्ण किया और अंत में प्रशंसा-पत्र (सर्टिफिकेट) प्राप्त किया।

प्रशिक्षण के प्रमुख पहलू

  • चित्रकला के पारंपरिक स्वरूप से परिचय

  • प्राकृतिक रंगों और ब्रश तकनीक की जानकारी

  • पौराणिक, धार्मिक और ग्रामीण जीवन विषयों पर चित्र बनाना

  • कला को व्यवसाय में बदलने के तरीके

यह भी पढ़ें:  16 अगस्त से Darbhanga में राजस्व महाअभियान, आपके घर पहुंचेगी भूमि सुधार की टीम, जानिए कब और कैसे

सांस्कृतिक संरक्षण के साथ आर्थिक सशक्तिकरण

पूजा कुमारी ने बताया कि मधुबनी पेंटिंग अब केवल पारंपरिक दीवारों तक सीमित नहीं है, बल्कि साड़ी, दुपट्टा, बैग, टी-शर्ट, कॉस्ट्यूम डिजाइन, जैसे उत्पादों पर भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे ग्रामीण महिलाएं और युवतियां घरेलू स्तर पर कमाई कर रही हैं।

कला को वैश्विक मंच देने की जरूरत

डॉ. प्रदीप कुमार विश्वकर्मा, जो केंद्र में वैज्ञानिक हैं, ने कहा कि यदि युवाओं को डिजिटल माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाए और उन्हें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे Etsy, Amazon Handmade, या GeM पोर्टल से जोड़ा जाए, तो वे ग्लोबल ग्राहक तक अपनी कला पहुँचा सकते हैं।

यह भी पढ़ें:  Darbhanga में शिक्षा और साधना का मेल, नवोदय विद्यालय में गूंजा वेद मंत्र!

प्रशिक्षण का सकारात्मक प्रभाव

  • युवाओं में आत्मविश्वास में वृद्धि

  • गांव स्तर पर संस्कृति को पहचान

  • स्वरोजगार के प्रति रुझान में वृद्धि

  • कम लागत में आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा

प्रशिक्षण से जुड़े अधिकारी और कर्मी

इस प्रशिक्षण में ई. निधि कुमारी, डॉ. प्रदीप कुमार विश्वकर्मा, और अन्य प्रशिक्षण कर्मियों की उपस्थिति रही। सभी ने प्रशिक्षण को सफल बनाने में योगदान दिया।

जरूर पढ़ें

Darbhanga के घनश्यामपुर को मिले नए CO, दरभंगा से कौन गए Madhubani, Bihar के – इन 46 जगहों के CO बदले, देखिए पूरी...

पटना, देशज टाइम्स | राजस्व विभाग में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल किया गया है। राजस्व...

अब मुखिया, वार्ड सदस्य और ग्रामीण के ‘जिम्मे’ रहेंगे सरकारी शिक्षक…टन-टन-टन… सुनो घंटी बजी स्कूल की

अब नहीं चलेगा शिक्षकों का लापता खेल! गायब रहने पर गांव वाले ही करेंगे...

Madhubani News: जयनगर के बाद अब पंडौल बनेगा Railway का New Centre, पढ़िए छोटे स्टेशन, बड़ा फैसला!

मधुबनी-पंडौल के यात्रियों को तोहफा! अब शहीद और सद्भावना एक्सप्रेस यहीं रुकेगी। पंडौल स्टेशन...

Darbhanga-Muzaffarpur की सीमा, Singhwara के पड़ोसी यजुआर के मुखिया Suman Thakur बनेंगे PM Modi के Special Guest, जानिए वजह

दरभंगा-मुजफ्फरपुर की सीमा यानि सिंहवाड़ा से बेहद करीबी रिश्ता रखने वाले यजुआर के मुखिया...
error: कॉपी नहीं, शेयर करें