दरभंगा | जिले के बहेड़ी थाना क्षेत्र में मंगलवार को उत्पाद अधिनियम (Excise Act Bihar) के तहत एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया गया। प्रथम विशेष न्यायाधीश राम झा की अदालत ने चौकीदार विमलेन्द्र प्रसाद सिंह और गृह रक्षक गौरव कुमार को धारा 37 के तहत दोषी करार देते हुए तीन-तीन हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।
आरोपी और घटना स्थल
चौकीदार विमलेन्द्र प्रसाद सिंह, समधपुरा गाँव निवासी।
गृह रक्षक गौरव कुमार, बहेड़ी थाना में पदस्थापित।
घटना 18 अगस्त को बहेड़ी थाना के चौकीदार भवन के पास घटित हुई। दोनों आरोपी शराब के नशे में शोरगुल कर रहे थे। सूचना पाकर प्रभारी थानाध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार चौबे घटनास्थल पर पहुंचे।
अनुमंडल पुलिस निरीक्षण
इसी दौरान बेनीपुर अनुमंडल पुलिस अधिकारी बहेड़ी थाना का औचक निरीक्षण करने पहुंचे।
आदेश पर Breathalyzer द्वारा जांच की गई।
दोनों आरोपी शराब पीने की स्थिति में पाए गए।
पूछताछ और प्राथमिकी
दोनों आरोपियों ने बताया कि उन्होंने बहेड़ी स्थित भारत लाइन होटल से शराब लाकर पी थी। सूचना देने वाले सूचक सअनि के लिखित बयान के आधार पर बहेड़ी थाना में कांड संख्या 341/2025 दर्ज की गई। अनुसंधानक धर्मदेव सिंह यादव को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया।
आरोप पत्र और अदालत में दोष स्वीकार
अनुसंधान पूरा होने के बाद अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप पत्र संख्या 328/25 अदालत में समर्पित किया गया।
अदालत में दोनों आरोपियों ने अपना दोष स्वीकार किया।
अदालत का फैसला
प्रथम विशेष न्यायाधीश श्री राम झा ने दोषियों को तीन-तीन हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।
स्पेशल पीपी हरेराम साहू ने बताया कि सजा सुनाए जाने के बाद दोषियों ने अदालत में अर्थदंड जमा किया।
चौकीदार विमलेन्द्र प्रसाद सिंह और गृह रक्षक गौरव कुमार को अदालत ने मुक्त कर दिया।
सरकारी नियमों का उल्लंघन
यह घटना उत्पाद अधिनियम की धारा 37 का उल्लंघन है, जिसके अनुसार:
सरकारी कर्मचारी को शराब पीकर सार्वजनिक स्थान पर अशांति नहीं फैलानी चाहिए।
दोषी पाए जाने पर आर्थिक दंड और अन्य नैतिक दंड लगाया जा सकता है।
समाज और प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस घटना ने दिखाया कि शासन और प्रशासनिक पद पर रहते हुए भी शराब का सेवन गंभीर मामला बन सकता है।
पुलिस ने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी।
इस घटना से स्थानीय लोगों में जागरूकता बढ़ी है और वे प्रशासन से नियमों के पालन की उम्मीद कर रहे हैं।
कोई भी अधिकारी कानून से ऊपर नहीं
बहेड़ी थाना क्षेत्र की यह घटना बताती है कि सरकारी कर्मचारियों का आचरण कानून और अनुशासन के अनुरूप होना चाहिए। अदालत द्वारा सुनाई गई सजा यह संदेश देती है कि कोई भी अधिकारी कानून से ऊपर नहीं है।
इसके साथ ही, इस मामले ने उत्पाद अधिनियम की प्रभावशीलता और नैतिक जिम्मेदारी की आवश्यकता को भी उजागर किया।