
दरभंगा में मानवता की मिसाल: दरभंगा में करुणा की कहानी: पुलिस और समाजसेवी ने बचाई जान, महिला ने बेटी को दिया जन्म, समय पर पहुंचाया अस्पताल। अगर देर होती तो फट सकता था पेट! पुलिस-समाजसेवी ने समय पर पहुंचाई गर्भवती महिला, बेटी को दिया जन्म।@प्रभास रंजन, दरभंगा, देशज टाइम्स।
बिहार बंद के बीच कोई मदद को नहीं आया
बिहार बंद के बीच कोई मदद को नहीं आया, पुलिस और समाजसेवी ने गर्भवती को DMCH पहुंचाकर रच दिया चमत्कार। पति दिव्यांग, रिश्तेदार नहीं… समाजसेवी ने लिया जिम्मा, पुलिस संग मिलकर बचाई महिला की जान। मैं रिश्तेदार बनूंगी” – समाजसेवी प्रियंका झा ने किया साइन, गर्भवती महिला और बच्ची की जान बची@ दरभंगा, देशज टाइम्स।
Highlights)पंडासराय की गर्भवती अकेली थी
पंडासराय मोहल्ले की गर्भवती महिला अकेली थी, परिवार मौजूद नहीं था। पुलिस और समाजसेवी की मदद से समय पर DMCH पहुंचाया गया। पहले से दो बच्चों का जन्म ऑपरेशन से हुआ था, देर होने पर जान को खतरा था। समाजसेवी प्रियंका झा ने रिश्तेदार बनकर जिम्मेदारी ली और ऑपरेशन फॉर्म पर साइन किया। महिला ने सुरक्षित रूप से एक पुत्री को जन्म दिया।
दरभंगा: पुलिस और समाजसेवी की मदद का संगम गर्भवती महिला अस्पताल पहुंची, सुरक्षित जन्मी बच्ची
दरभंगा, देशज टाइम्स। लहेरियासराय थाना क्षेत्र के पंडासराय मोहल्ले में गुरुवार की सुबह दर्द से तड़प रही एक गर्भवती महिला को समय रहते पुलिस और समाजसेवी की मदद से अस्पताल पहुंचाया गया। दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (DMCH) में इलाज के बाद महिला ने सुरक्षित रूप से एक पुत्री को जन्म दिया।
प्रसव पीड़ा में अकेली थी महिला
स्थानीय लोगों के अनुसार, गर्भवती महिला रेणु देवी घर में अकेली थीं और प्रसव पीड़ा के कारण जोर-जोर से चिल्ला रही थीं। बिहार बंद होने की वजह से कोई भी उन्हें अस्पताल ले जाने को तैयार नहीं था। स्थिति गंभीर होती देख किसी ने लहेरियासराय थानाध्यक्ष अमित कुमार को सूचना दी।
पुलिस और समाजसेवी ने निभाई जिम्मेदारी
सूचना मिलते ही थानाध्यक्ष ने दरोगा प्रशांत कुमार और समाजसेवी प्रियंका झा को मौके पर भेजा। दोनों ने मिलकर रेणु देवी को समय पर डीएमसीएच पहुंचाया।
डॉक्टरों ने बताया कि महिला के पहले भी दो बच्चों का जन्म ऑपरेशन से हुआ था, और यदि उन्हें समय पर अस्पताल नहीं लाया जाता तो उनकी जान को गंभीर खतरा हो सकता था।
समाजसेवी बनीं “परिवार”
अस्पताल में ऑपरेशन की जरूरत पड़ने पर डॉक्टरों ने फॉर्म पर साइन करने के लिए रिश्तेदार की मांग की। चूंकि महिला के पति दृष्टिबाधित (आंखों से दिव्यांग) हैं और बाहर रहते हैं, परिवार का कोई सदस्य मौके पर मौजूद नहीं था। ऐसे में समाजसेवी प्रियंका झा ने खुद को रिश्तेदार मानते हुए जिम्मेदारी ली और फॉर्म पर साइन किए।
प्रियंका झा ने कहा— “इस महिला के यहां कोई रिश्तेदार नहीं हैं। ऐसे में मानवता के नाते मैंने इसकी जिम्मेदारी ली।”
स्वस्थ है मां और नवजात
करीब दो घंटे के इलाज के बाद महिला ने एक पुत्री को जन्म दिया। फिलहाल मां और बच्ची दोनों स्वस्थ हैं। रेणु देवी को पहले से ही दो पुत्र बच्चे हैं।