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7 सितम्बर, 2024
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Success Story | Darbhanga के Pawan Sahni…5 लाख, मखाना फोड़ी और बदल दी किसानों की किस्मत

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दरभंगा के कमतौल के किसान पवन सहनी ने बदली तकदीर! गांव में ही शुरू किया मखाना फोड़ी, लाखों की कमाई। गांव में रहकर भी करोड़ों का सपना! पवन सहनी की मखाना फोड़ी यूनिट बनी किसानों की नई पहचान। अब नहीं जाना पड़ेगा बाहर! कमतौल में ही मखाना फोड़ी से गांव वालों को मिला रोजगार और आमदनी। स्पेशल स्टोरी। आंचल कुमारी, कमतौल-दरभंगा देशज टाइम्स।

रोजगार का भी बना जरिया, 5 लाख से अब कमा रहे लाखों!

5 लाख से शुरू किया काम, अब कमा रहे लाखों! पवन सहनी बने दरभंगा के रोल मॉडल किसान। महिलाओं और युवाओं को घर के पास ही रोजगार! दरभंगा में मखाना फोड़ी बना उम्मीद की किरण। गांव से लगाव और मेहनत ने बदली जिंदगी! पवन सहनी की मखाना फोड़ी से किसानों में खुशी की लहर। गांव में रहकर भी सफल हो सकते हैं’ – पवन सहनी की मखाना फोड़ी से बदल रही किसानों की किस्मत@स्पेशल स्टोरी। आंचल कुमारी, कमतौल-दरभंगा देशज टाइम्स।

गांव में शुरू हुई मखाना फोड़ी, किसानों की बढ़ी आमदनी –

कमतौल,देशज टाइम्स। जाले प्रखंड के राढ़ी पूर्वी पंचायत के ततैला गोनौली टोल निवासी मखाना उत्पादक किसान पवन सहनी ने गांव में ही मखाना फोड़ी (लावा प्रोसेसिंग) का काम शुरू कर स्थानीय किसानों की आमदनी बढ़ाने और गांव में रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।

गांव में ही रोजगार का अवसर

पवन सहनी ने करीब पांच लाख रुपए पूंजी की व्यवस्था कर यह यूनिट शुरू की है। फिलहाल गांव के एक दर्जन से अधिक पुरुषों और महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। पवन ने बताया कि अब तक लावा की बिक्री से दो लाख रुपए की आमदनी हो चुकी है और पूरे सीजन में पांच से छह लाख तक कमाई की उम्मीद है।

पारंपरिक पेशे में आधुनिक पहल

पवन सहनी ने कहा कि मखाना की खेती पुश्तैनी पेशा है। पहले लावा फोड़ने के लिए दोनों भाइयों को पूर्णिया भेजकर प्रशिक्षण दिलवाया, जिसके बाद उन्होंने गांव के अन्य पुरुषों और महिलाओं को प्रशिक्षित किया। अब गांव के ही श्रमिक इस काम में निपुण हो चुके हैं।

किसानों और श्रमिकों को राहत

पहले किसानों को गुड़ी बेचने या लावा फोड़वाने के लिए बाहर जाना पड़ता था, जिससे भाड़ा और समय दोनों खर्च होते थे। अब गांव में ही फोड़ी होने से किसान सीधे लावा बेचकर अधिक आमदनी कर सकते हैं।

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श्रमिकों ने बताया कि अब उन्हें बाहर मजदूरी करने नहीं जाना पड़ेगा, जिससे बचत के साथ परिवार और बच्चों की देखभाल भी आसान हो जाएगी।

विशेषज्ञों की राय

कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ. दिव्यांशु शेखर और प्रगतिशील किसान धीरेन्द्र कुमार ने पवन सहनी की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह कदम मखाना उत्पादक किसानों के लिए प्रेरणादायी है। इससे गांव में ही दर्जनों लोगों को रोजगार मिलेगा और किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी।

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