
मुजफ्फरपुर में मिड-डे मील से हड़कंप! 62 बच्चे बीमार, 8 भर्ती – सब्जी में निकली छिपकली। परीक्षा के बाद मिड-डे मील बना जहर! 62 बच्चों की तबीयत बिगड़ी, प्रशासन अलर्ट।स्कूल में मिड-डे मील बना जहर! छिपकली की वजह से 62 बच्चे बीमार – जांच शुरू। बच्चों की थाली में मौत का स्वाद? मिड-डे मील खाने से 62 बीमार – लापरवाह कौन?@मुजफ्फरपुर देशज टाइम्स।
मुजफ्फरपुर में मिड-डे मील खाने से 62 बच्चे बीमार, 8 एसकेएमसीएच में भर्ती
परीक्षा के बाद मिड-डे मील खाने से बिगड़ी तबीयत
मुजफ्फरपुर, देशज टाइम्स। जिले के प्राथमिक विद्यालय पोखरैरा बिचला टोला में गुरुवार को बड़ा हादसा टल गया। विद्यालय में मिड-डे मील (Mid-Day Meal) खाने के बाद 62 बच्चे बीमार हो गए। सभी बच्चों में उल्टी, पेट दर्द और चक्कर आने जैसी समस्या देखी गई। घटना के बाद पूरे विद्यालय परिसर में अफरा-तफरी मच गई और शिक्षकों ने तुरंत सभी बच्चों को इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में भर्ती कराया।
घटना कैसे हुई?
विद्यालय में उस दिन अर्द्धवार्षिक परीक्षा चल रही थी। कुल 102 बच्चों में से 100 परीक्षा में उपस्थित हुए। पहली पाली की परीक्षा समाप्त होने के बाद बच्चों ने मिड-डे मील का भोजन किया। इसी दौरान सब्जी में छिपकली गिरने की घटना हुई।
जब तक भोजन फेंकवाया गया, तब तक कई बच्चे खाना खा चुके थे। खाना खाने के थोड़ी देर बाद ही बच्चों की हालत बिगड़ने लगी।
बच्चों की हालत और इलाज
घटना के बाद प्रधान शिक्षक रमेश राम और अन्य शिक्षकों ने तुरंत पहल करते हुए बच्चों को अस्पताल पहुंचाया। कुल 62 बच्चों को सीएचसी में भर्ती कराया गया।
इनमें से आठ बच्चों की हालत गंभीर बताई गई, जिन्हें श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SKMCH, Muzaffarpur) रेफर किया गया। शेष 52 बच्चों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। डॉक्टरों ने पुष्टि की कि भोजन में गिरी छिपकली की वजह से खाना दूषित हो गया था, जिसके कारण बच्चों की तबीयत बिगड़ी।
प्रशासन की कार्रवाई
इस घटना ने जिला प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। जिला पदाधिकारी ने मामले को गंभीर मानते हुए डीपीओ (District Programme Officer) और बीईओ (Block Education Officer) से जवाब-तलब किया है।
शिक्षा विभाग की ओर से कहा गया है कि दोषी पाए जाने पर जिम्मेदार अधिकारियों और भोजन बनाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस घटना की पूरी जांच रिपोर्ट जल्द ही सरकार को सौंपी जाएगी।
मिड-डे मील योजना और बच्चों की सुरक्षा
भारत सरकार द्वारा संचालित मिड-डे मील योजना (अब जिसे PM POSHAN Scheme भी कहा जाता है, देखें विकिपीडिया) का उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है। लेकिन बिहार समेत कई राज्यों में इस योजना के तहत गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते रहे हैं।
पूर्व में भी भोजन में कीड़े, छिपकली और अन्य वस्तुएँ मिलने के मामले सामने आ चुके हैं। भारत सरकार के दिशा-निर्देश स्पष्ट रूप से कहते हैं कि मिड-डे मील में स्वच्छता और गुणवत्ता नियंत्रण सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
गांव के कई अभिभावकों ने इस घटना को गंभीर लापरवाही बताया। अभिभावकों का कहना है कि बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कुछ लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की कि दोषियों को तत्काल निलंबित और दंडित किया जाए। वहीं, कई ग्रामीणों ने इस योजना की स्वतंत्र निगरानी की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों।
सौभाग्य से टला बड़ा हादसा
डॉक्टरों के अनुसार बच्चों की हालत अब स्थिर है। सौभाग्य की बात यह रही कि किसी भी बच्चे की स्थिति इतनी गंभीर नहीं हुई कि जान का खतरा पैदा हो। हालांकि, इस घटना ने मिड-डे मील की गुणवत्ता और प्रशासनिक निगरानी पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं।
अभिभावकों और शिक्षकों की यही मांग
मुजफ्फरपुर की यह घटना न केवल जिला प्रशासन बल्कि पूरे राज्य के लिए चेतावनी का संकेत है। बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के साथ किसी भी तरह की लापरवाही अक्षम्य अपराध है।
अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग और बिहार सरकार इस मामले में क्या ठोस कदम उठाते हैं। अभिभावकों और शिक्षकों की यही मांग है कि मिड-डे मील व्यवस्था में पारदर्शिता और गुणवत्ता नियंत्रण को सुनिश्चित किया जाए।