back to top
29 सितम्बर, 2024
spot_img

Durga Puja Special Story | जागो तुमी जागो… दशप्रहरधारिणी जागो…Manoranjan Thakur के साथ

आप पढ़ रहे हैं दुनिया भर में पढ़ा जाने वाला Deshaj Times...खबरों की विरासत का निष्पक्ष निर्भीक समर्पित मंच...चुनिए वही जो सर्वश्रेष्ठ हो...DeshajTimes.COM
spot_img
Advertisement
Advertisement

नवजात नर से बुजुर्ग होने तक का अहसास। लाठी टेकने व अग्नि, जल, लोह, पाथर में लीन होने से क्षणिक काल पूर्व। अनिवार्यता व ख्वाहिश के हर पल-पल, मोड़ पर उसी में सराबोर, जरूरीयात की पूर्ति, पहुंच में शामिल, जिसके जिम्मे बूते है वह महज एक स्त्री है। एक ऐसी स्त्री, जो तमाम पुरुषियात आकांक्षाओं, समवेग से लेकर पेट से उतरती देह में लुप्त हो जाती है। ऐसे में, अथ तन्त्रोक्तं देवी यानी स्त्री सूंक्तम् में लाचारी, बेबसी का रट लगाता, उसी का पाठ, सदियों से स्तुति करता, भूमिका तय करता मिलता है कौन? महज एक पुरुष।

बुद्धिरुपेण से निंद्रारुपेण, कान्ति, तृष्णा, क्षमारुपेण, शक्तिरुपेण, तृप्ति, वृत्ति, स्मृति, लक्ष्मीरुपेण, लज्जा, छाया, दया, मातृरुपेण ही नहीं पत्नीं भी मनोरमा देहि की चाहत पाले वह पुरुष जिस शरण में जा झुकता, समर्पण करता दिखता, खड़ा मिलता है वो भी एक स्त्री ही है।

साक्षात् दुष्टनिग्रहकारिणी, भौतिक शक्ति, अनुग्रह विद्यायिनी एक स्त्री। कहीं रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि की चाहत। वहीं, नमस्ते शुम्महंत्राच, निषुम्मसुसघातिनी, जाग्रतं हीं महादेवी : जपं सिद्धं कुरुष्व मे…का गान करते। शर्म को त्यागे पुरुषिया सोच देश, समाज, परिवेश में उसी स्त्री के हिस्से की जमीं-आसमां, बेफ्रिक आजादी, आत्मनिर्भरता को कुचलते। बंदिश की चुभन में तब्दील करते। हिंसक व बर्बर कृत्य, अलग ट्रीटमेंट देते पुरुषों के हाथ स्त्रीत्ववाद का हुलिया बिगाड़ने को इतना बेचैन, आमादा क्यों?

नतीजा, बदनामी, समाजिक अलगाव, अकेलापन, असुरक्षा व हिंसा आज स्त्री शब्द के अर्थ, परिभाषा, मायने हो गए हैं। पुलिस व कानून से उत्पीड़ित, प्रताड़ित होने से लेकर वैश्वीकरण ने सेक्स के मल्टीकोर उद्योग को खड़ा कर स्त्रीत्व के पीछे की एक संपूर्ण अर्थव्यवस्था तैयार, छिन्न-भिन्न कर दी है। जहां, वेश्याओं के बच्चे व सम्मान के जीवन में दुत्कार की पीड़ा सबसे अधिक औरत को ही मुहैया है।

लसफा, स्त्री मुक्ति की अवधारणाओं में सबसे तीव्र बोध देह को लेकर सामने है। चाहे वह अपराध बोध हो। शुचिता का सवाल या पवित्रता के प्रति आग्रह का नकार। जीने को नयी राह दिखती भी है तो एक डर को समेटे। गहरा दाग लिए। घिनौने साजिश की बु में पापों का जहर लिए बुरी नजरें।

आखिर, स्त्री मुक्ति के बारे में कहीं कोई सार्थक, वैचारिक ठोस दृष्टि लिए बगैर अस्मिता व आत्मसम्मान को चोटिल करता चेहरा किसका है। रिश्तों, नैतिकता, अनैतिकता व करुण दया के घेरों को तोड़कर एक नयी स्त्री दृष्टि सृजित करने की कोशिश को विफल, ठुकराते, नए ऑइकन बनाने की तनिक भी हड़बड़ी नहीं होने के बीच अगुआ बनने को तैयार क्यों दिख रहा है आज संपूर्ण समाज?

यह भी पढ़ें:  बिरौल की शिक्षिका —पुष्पा कुमारी हत्याकांड में पुलिस को बड़ी सफलता, 3 गिरफ्तार@बड़ा अभियान...10 अपराधगर्द, SHO Chandramani के RADAR पर 'पति'
सती | भवानी | आर्या | दुर्गा | जया | आद्या | त्रिनेत्रा | शूलधारिणी | चंद्रघंटा और महिषासुर मर्दिनी का यह भव्य रूप लहेरियासराय के बाकरगंज गायत्री मंदिर का है | यहां पट खुलते हीं श्रद्धालु मां की अराधना में तल्लीन हैं | शुभ मौके पर तस्वीर में माता मां दुर्गा के श्रृंगार में अलंकृत जो मखाना की माला सुशोभित हो रही है, वह देशज टाइम्स के वरिष्ठ क्राइम रिपोर्टर प्रभास रंजन ने मां के चरणों में समर्पित कर स्तुति की है | deshajtimes
सती | भवानी | आर्या | दुर्गा | जया | आद्या | त्रिनेत्रा | शूलधारिणी | चंद्रघंटा और महिषासुर मर्दिनी का यह भव्य रूप लहेरियासराय के बाकरगंज गायत्री मंदिर का है | यहां पट खुलते हीं श्रद्धालु मां की अराधना में तल्लीन हैं | शुभ मौके पर तस्वीर में माता मां दुर्गा के श्रृंगार में अलंकृत जो मखाना की माला सुशोभित हो रही है, वह देशज टाइम्स के वरिष्ठ क्राइम रिपोर्टर प्रभास रंजन ने मां के चरणों में समर्पित कर स्तुति की है | deshajtimes

देश के सम्मुख, सामने सबसे बड़ा संकट जिस प्रकृति की गोद में रच-बस कर जियो व जीने दो की अवधारणा जेहन में समाया, उतरा जगह बनायी उसे ही अंधविश्वास के धरातल पर उसी प्रकृति के संसाधनों को लूटने, खरीदने पर आमादा, योजनाएं बनाने में मशगूल पूरा देश का समग्र चिंतन क्यों तमाशबीन है?

हालात यही, ग्लोबल इकोनामी के महिषासुरी तेवरों से विकसित पूरा राष्ट्र प्राकृतिक संसाधनों को हड़पने की होड़ में शामिल दिख रहा। पर्यावरण रक्षिका प्रकृति को तनाव के दौर में ला, पहुंचाने की हड़बड़ी में स्त्री जाति पर दानव का पहरा पहले से वहीं मौजूद है जहां, प्रकृति का प्रतिनिधित्व करने वाली नारी अनेक यातनाओं की बेड़ी में जकड़ी, कराहती मिल रही।                        क्षीणा : प्रकृतयो लोभं लुब्धा यान्ति विरागताम्।

नारी जो प्रकृति है। नदी है। देवी, वसुंधरा है। वात्सल्य, त्याग, करुणा व प्रेम की प्रतिमूर्ति। बिना किसी उपमा के जिसके समर्पण की कोई सीमा, बांध नहीं। परमात्मा से महात्मा, प्रभु को पाने की पहली सीढ़ी नारी आज सामाजिक व्यवस्था, काल, भूगोल, जाति, धर्म व रिश्तों के अनुरूप बदलाव की कहीं सोचती भी है तो सामाजिक बर्बरता के आगे बोलती बंद कर। मजबूरन, आज स्त्री मुक्ति का साधारणीकरण संभव नहीं। ऐसे में ही एक आवाज, जागो तुमी जागो, जागो तुमी जागो, जागो दुर्गा जागो। दशप्रहरधारिणी जागो तुमी जागो… के जयघोष के बीच महिषासुरमर्दिनी मां दुर्गा के आह्वान की अवधारणा धार्मिक मान्यता से दूर राष्ट्र की कल्याणपरक राजनीतिक शक्तियों के साथ घनिष्ठ संबंध, तारतम्य बांधता मिलता, सुकून देने को काफी। संदेश भी साफ।

शक्ति पूजा विराट प्रकृति दर्शन को समेटे, नारी स्वरूप को विस्तारित, विचारित, प्रस्तावित करने को तैयार कि बहुत हुआ। आधे शब्द का प्रयोग अब नहीं। जिस कोख से पुरुष जन्मा, उसी कोख को वर्जित फल कहने का जमाना गया। इतिहास भी गवाही देने को तैयार।

मैसोपोटामिया, हड़प्पा व महाभारत युगीन उन्नत व विकसित सभ्यताएं क्यों नष्ट हो गयी। कारण, प्राकृतिक प्रकोपों से बचने का कोई उपाय उन सभ्यताओं के पास नहीं बचा। आज भी नदियों की मातृभाव से पूजा करने वाले देश में नदियों को प्रदूषण से मुक्त करने की चिंता न प्रदेश सरकारों को है ना ही धार्मिक संस्थानों को। ऐसे में, नव दुर्गा से जुड़ा पर्यावरण वैज्ञानिक चिंतन आज लोक संरक्षण, राष्ट्र रक्षा पर्व के साथ नारी सशक्तीकरण के लिए प्रासंगिक, लाजिमी हो उठा है।

यह भी पढ़ें:  Singhwara के लिए बनी Darbhanga police की Special Strategy, क्या होने वाला खास? जानिए City SP Ashok Kumar का Stance?

मालवा की भादवा, दूधर खेड़ी, विजासनी की शक्ति तत्व हो या राजस्थानी, गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली के कई क्षेत्रों में अनगिनत ऐसी देवियों के मंदिर या फिर पूर्वी व पूर्वोतर भारत खासकर झारखंड, बिहार, बंगाल, असम, त्रिपुरा में नवरात्र से लेकर काली पूजनोत्सव में आदि शक्ति भवानी की असीम श्रद्धा, भक्ति में डूबे असंख्य भक्त। कुंवारी को भोग लगाते। घर-परिवार मिलकर उनका चरण छूकर साक्षात् देवी का रूप मान पूजा-अर्चना करते। याद दिलाने को प्रचुर, काफी कि जब-जब प्रजा पर अत्याचार हुए अत्याचारी, दुराचारियों राजाओं के राज्य, साम्राज्य भ्रष्ट, नष्ट करने वाली कोई स्त्री वही देवी ही थी।

माना, मसला, महज दोषी को सजा देने का आज नहीं रहा। मुद्दा तंत्र में कराहते उस जन का है जो देश का मान नागरिक होने के बाद भी महज एक स्त्री होने का दर्द, पीड़ा, दंश से उपेक्षित, ग्लानि से लथपथ मिल रही। देह, आत्मा, आग, पानी तक के बीच चिंताओं व चुनौतियों को जीती मिलती वर्तमान स्त्री एक सुरक्षित माहौल को लालायित है।

खुद की अहमियत, अस्मिता, जरूरतों को समझने वाली भाषा से संवाद करने में भी झिझकती वह स्त्री इंसान की जिंदगी में समय की शिला पर यथावत खड़ी है। एक संभ्रात नौकरानी की भूमिका तलाशती। घरेलू कामों में उलझती। बच्चों को संरक्षित, सुरक्षित करती खुद बोझिल होती एक स्त्री कब तलक सहती, उपेक्षित होती रहेगी? तमाम वर्जनाओं के बीच वंचित समाज से घिरी। लिंग विभेद, अज्ञान व अंधविश्वास के बीच से बर्बर परंपराए तोड़ने को आमादा। मुक्ति की भीख मांगती एक स्त्री समाज के जिम्मेदार लोगों की संवेदनहीन सोच से बाहर निकलेगी भी तो कैसे?

यत्र नार्यस्तु पूज्यते… कहने की जरूरत शायद इस देश को नहीं। सवाल वहीं, ऐसी मानसिकता की जड़ें कहां हैं। देश के तंत्र, शिक्षा पद्धति, परवरिश या फिर कुंठित पुरुष मानसिकता में। जिसकी टिप्पणियां सामाजिक अंत:करण में मौजूद पितृसत्ता के अलग-अलग आयामों को टीआरपी के मौजूदा होड़ में टीवी चैनलों की स्क्रीन पर फिसलती जबान के रूप में प्रत्यक्ष सामने दिख रहा। दरअसल, समाज जिसे संस्कृति बता रहा है, असल में स्त्री को उससे ही टकराना है। बलात्कार जिस किस्म का आक्रामण है। वजूद के अतरंग तक को उधेड़ और फाड़ कर फेंक देने का कृत्य एक स्त्री के लिए जितना संघातकारी शायद पुरुषों को उस मानसिकता, दिमाग तक पहुंचने में वक्त का सहारा लेना पड़े।

यह भी पढ़ें:  412 स्थलों पर निगहबानी के बीच कैसे मनेंगी Darbhanga में Durga Puja, जानिए क्या है Civil Dress Policing PLAN

स्पष्ट है, पूरे समाज में व्याप्त स्त्री के उपभोग की मानसिकता उन बयानों के केंद्र में रहते हैं जो हनी सिंह के अदालत में पहुंचने से लेकर आसाराम व उनके बेटे के आश्रम में कैद खुफिया कमरे व आलीशान पलंग पर लेटी जिंदगी की जद्दोजहद से बाहर निकलने को छटपटाती, काला-जादू, तंत्र-मंत्र, झाड़-फूंक के हवन में जलती, प्रसाद के बहाने अपना अंतरंग बांटती मजबूर मिलती है। आखिर कब तक एक स्त्री, पंडाओं, मुल्लाओं, पादरियों से लेकर आम लोगों के हाथों धर्म, पाप-पुण्य, स्वर्ग-नरक, भाग्य, पुनर्जन्म, जन्नत-दोजख, कयामात, हैल्ल-हैवन, नस्तर या ताकत का हौवा दिखाकर लुटती रहेगी।

ज की स्त्री कैसी हो? निसंदेह उसमें अस्तित्व के स्वीकार का आग्रह विकसित हुआ है। वह मुक्ति के पुराने आइकॉन को तोड़ भोग्या या यौनिक वस्तु के मायने से इतर एक समग्र इकाई, एक मनुष्य, नागरिक के रूप में पहचानने का आग्रह करती, हीन भावना से उबरती, आत्मविश्वास विकसित करती, स्वावलंबी होकर उभरी, दिखती, मिलती है। सुखद यह, दक्षिण भारत के मंगलौर-कुद्रोली के एक शताब्दी पुराने श्री गोकर्णनाथेश्वर मंदिर में विधवा लक्ष्मी व इंद्रा को पुजारी बनाया गया है। खबर, विधवाओं को हाशिए पर रखने वाले पुरुषिया :रूढ़िवादी समाज पर एक तमांचा से कम नहीं।

शंखनाद की पहली किरण लिए उम्मीद यही, इन महिलाओं की नियुक्ति किसी क्रांति से कम नहीं। शायद, नाइजीरिया के जमफारा प्रांत की महिलाओं के लिए एक नई सुबह का अहसास भी जहां कि विधवाएं शादी करने की चाहत पाले गुसाउ में मार्च निकालती जुलूस लिए, खुद के लिए एक सुरक्षित जीवनसाथी चाहती, मिलती हैं। दु:खद यही, परंपराओं के आगे बेबस उनकी मजबूरी, लाचारी धार्मिक पुलिस के आगे पड़ा उनका ज्ञापन, सरकार से मदद मांगती उनकी हाथों की ओर सहायता के कोई हाथ बढ़ेंगे इसमें शक।

दियों पुरानी जर्जर, मर्यादाविहीन पागलपन के खिलाफ सुरक्षा का नस्तर उठाए…एक नए अर्थ, अनुराग के साथ कहती, सुनती, चिल्लाती महिलाएं वहीं खड़ी हैं जहां …हे दशप्रहरधारिणी जागो तुमी जागो…के समवेत प्रयास कटघरे में खड़ा, जद्दोजहद से रू-ब-रू, अरदास में जुटा दसभुजी से नम्र निवेदित-                   सर्वबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। एवमेव त्वया कार्यममद्वैरिविनाशनम्।।

(यह आलेख: मनोरंंजन ठाकुर की प्रकाशित पुस्तक ईमान डोल जाएंगें से साभार)

जरूर पढ़ें

Muzaffarpur के गायघाट में मां और दो बेटियों की नदी में डूबकर मौत

लोमा गांव त्रासदी: मुजफ्फरपुर के गायघाट में मां और दो बेटियों की नदी में...

Bihar में Durga Puja पर सख्त नियम, बिना लाइसेंस मूर्ति विसर्जन पर बैन

बिहार में दुर्गा पूजा पर सख्त नियम, बिना लाइसेंस मूर्ति विसर्जन पर बैन। अबकी...

Bihar में आज से 7 नई ट्रेनें, DARBHANGA समेत Bihar के यात्रियों के लिए Great Connectivity– देखें नई ट्रेनों की List, TimeTable

बिहार को बड़ी सौगात! आज से चलेंगी 7 नई ट्रेनें, दिल्ली-राजस्थान-हैदराबाद होगा आसान सफर।...

Muzaffarpur के गायघाट में भीषण हादसा | Durga Puja पर Patna से घर लौट रहे Gaighat के दो सगे भाइयों की मौत

Muzaffarpur के गायघाट में भीषण हादसा | Durga Puja पर Patna से घर लौट...
error: कॉपी नहीं, शेयर करें