भोजपुरी सिनेमा के पावर स्टार और हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए अभिनेता पवन सिंह एक बार फिर अपने निजी जीवन को लेकर सुर्खियों में हैं। लेकिन इस बार मामला सिर्फ पर्सनल नहीं रहा, इसका सीधा असर उनकी राजनीतिक छवि और भाजपा की आगामी बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति पर पड़ सकता है।
पवन सिंह की दूसरी पत्नी ज्योति सिंह के साथ लंबे समय से तलाक का मामला अदालत में चल रहा है, लेकिन हाल ही में लखनऊ में हुए एक घटनाक्रम ने इस विवाद को नया मोड़ दे दिया है। अब यह विवाद सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक चर्चा का विषय बन चुका है। जिस प्रकार से यह मुद्दा महिलाओं की अस्मिता, सम्मान और संवेदना से जुड़ता दिख रहा है, उससे बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। भाजपा के लिए यह स्थिति असहज बनती जा रही है, खासकर तब जब पार्टी पवन सिंह को दक्षिण बिहार में अपना लोकप्रिय चेहरा बनाकर 2025 के चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में है।
लखनऊ में ताजा घटनाक्रम
लखनऊ में हुए ताजा घटनाक्रम की बात करें तो ज्योति सिंह सोशल मीडिया पर पहले ही यह घोषणा कर चुकी थीं कि वह अपने पति से मिलने लखनऊ जा रही हैं। उन्होंने लिखा था कि उन्हें उम्मीद है पवन सिंह उनसे जरूर मिलेंगे।
लेकिन जब वह उनके घर पहुंचीं, तो वहां पुलिस पहले से मौजूद थी। न तो उन्हें घर में घुसने दिया गया और न ही पवन सिंह सामने आए। इस पूरी घटना का वीडियो खुद ज्योति सिंह ने रिकॉर्ड किया और उसे लाइव किया।
ज्योति सिंह का बयान:
“अगर मुझे पुलिस स्टेशन जाना पड़ा तो मैं इसी घर में जान दे दूंगी।”
यह बयान और उनका दुखड़ा सुनकर सोशल मीडिया पर लोग भावुक हो गए। वीडियो वायरल हुआ और ज्योति सिंह के समर्थन में हजारों कमेंट आने लगे।
फिल्मी सितारों की प्रतिक्रिया
इस विवाद यहीं तक सीमित नहीं रहा। भोजपुरी सिनेमा के एक और बड़े नाम, खेसारी लाल यादव ने भी इस मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा:
“अगर भाभी ने कोई बड़ी गलती नहीं की है तो पवन सिंह को उन्हें माफ कर देना चाहिए। वह भले ही मेरी बहन नहीं हैं, लेकिन एक बेटी हैं, और अगर मेरी अपनी बेटी के साथ ऐसा होता तो मैं चुप नहीं बैठता।”
खेसारी लाल का यह बयान सिर्फ व्यक्तिगत संवेदना नहीं, बल्कि इसमें सामाजिक और राजनीतिक संकेत भी छिपे हैं। पवन सिंह और खेसारी लाल के बीच पहले से प्रतिस्पर्धा रही है, लेकिन अब यह प्रतिस्पर्धा केवल फिल्मी पर्दे तक सीमित नहीं रही, बल्कि सियासी रंग लेती नजर आ रही है।
तलाक की कानूनी लड़ाई
गौरतलब है कि ज्योति सिंह और पवन सिंह के बीच तलाक का मामला बिहार के आरा की फैमिली कोर्ट में चल रहा है। पवन सिंह की ओर से बयान दर्ज हो चुका है, वहीं ज्योति सिंह की गवाही अभी होनी बाकी है। अगली सुनवाई की तारीख 8 अक्टूबर तय की गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ज्योति सिंह ने इस तलाक के बदले 5 करोड़ रुपये और एक घर की मांग की है। जबकि पवन सिंह बच्चों की पढ़ाई और खर्च उठाने को तैयार हैं, लेकिन दोनों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है।
इस बीच ज्योति सिंह ने यह भी कहा है कि:
“अगर मुझे इंसाफ नहीं मिला, तो मैं राजनीति में उतरकर अपनी लड़ाई लड़ूंगी।”
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि वह आगामी चुनावों में निर्दलीय या किसी पार्टी के टिकट पर मैदान में उतर सकती हैं।
भाजपा के लिए चुनौती
यह बयान और परिस्थितियां भाजपा के लिए नई चिंता बन गई हैं। बिहार की राजनीति में महिला वोटर की भूमिका बेहद अहम होती जा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लंबे समय से महिलाओं के लिए योजनाएं चला रहे हैं और महिला सशक्तिकरण को अपना प्रमुख एजेंडा बना चुके हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 2019 के लोकसभा चुनाव में महिला वोटर्स को भाजपा की साइलेंट स्ट्रेंथ बता चुके हैं। ऐसे में अगर यह विवाद और गहराया, और महिलाओं में ज्योति सिंह के प्रति सहानुभूति की लहर चल पड़ी, तो भाजपा को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
चुनावी गणित और पवन सिंह
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पवन सिंह को बंगाल की आसनसोल सीट से उम्मीदवार बनाया था। लेकिन जैसे ही पुराने गानों को लेकर विरोध शुरू हुआ, खासकर बंगाली महिलाओं के अपमान को लेकर, पवन सिंह को टिकट वापस लेना पड़ा।
अब भाजपा उन्हें बिहार में नए चेहरे के रूप में पेश करने की तैयारी में थी, खासकर भोजपुर, रोहतास, और आसपास की सीटों पर। पवन सिंह की लोकप्रियता को देखते हुए पार्टी को उम्मीद थी कि वह युवाओं, खासकर पुरुष वोटरों को अपनी तरफ खींच सकेंगे। लेकिन अब यह विवाद उनकी छवि को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचा रहा है।
महिलाओं के प्रति आचरण और राजनीतिक असर
राजनीति में छवि बहुत मायने रखती है। यदि कोई नेता या प्रत्याशी महिलाओं के प्रति अपमानजनक आचरण के आरोपों में घिर जाए, तो उसका सीधा असर पार्टी के पूरे चुनावी गणित पर पड़ता है।
बिहार की राजनीति में इस समय सवर्ण मतदाताओं, खासकर ठाकुर समाज को साधने की कोशिश हो रही है। पवन सिंह ठाकुर समुदाय से आते हैं और भाजपा उन्हें इसी वर्ग का प्रभावी चेहरा बनाकर पेश करना चाहती थी। लेकिन अब यह पूरा समीकरण बिगड़ता नजर आ रहा है। अगर महिला वोटर्स नाराज हुईं तो न केवल पवन सिंह की सीट खतरे में पड़ेगी, बल्कि आसपास की सीटों पर भी असर देखा जा सकता है।
पिछला विवाद और आलोचना
पवन सिंह का विवाद पहले भी कई बार चर्चा में रहा है। लखनऊ के एक स्टेज शो के दौरान हरियाणवी डांसर अंजलि राघव के साथ अनुचित व्यवहार के कारण भी उन्हें आलोचना झेलनी पड़ी थी।
बाद में उन्होंने माफी जरूर मांगी थी, लेकिन तब भी सवाल खड़े हुए थे कि क्या पवन सिंह महिलाओं के प्रति संवेदनशील हैं? अब पत्नी के साथ जिस तरह का व्यवहार सामने आया है, उससे यही धारणा मजबूत होती जा रही है कि उनके आचरण में गंभीर कमी है।
भाजपा की नाजुक स्थिति
इस पूरे मामले में भाजपा की स्थिति बेहद नाजुक बन गई है। पार्टी के पास अब दो ही रास्ते हैं:
या तो वह पवन सिंह को सार्वजनिक रूप से विवाद सुलझाने को कहे और डैमेज कंट्रोल करे।
या फिर उन्हें बैकफुट पर डालकर कोई दूसरा चेहरा सामने लाए।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यदि भाजपा ने इस मुद्दे को हल्के में लिया, तो उसे आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
ज्योति सिंह का यह कहना:
“यह सिर्फ मेरा अपमान नहीं, हर पत्नी और बहू का अपमान है।”
आम महिलाओं के दिल को छूने वाला यह बयान सोशल मीडिया से निकलकर जमीनी स्तर तक पहुंचता है, और वोटिंग में तब्दील होता है। भाजपा को यह समझना होगा कि यह विवाद जितनी जल्दी सुलझे, उतना बेहतर है। अन्यथा यह एक ऐसा मुद्दा बन सकता है, जो पार्टी की पूरी चुनावी रणनीति को झकझोर दे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, व्यक्त विचार निजी हैं)