जनकपुर धाम, बिहार – विश्वप्रसिद्ध जानकी मंदिर परिसर मंगलवार की देर शाम प्रभु श्रीराम और जानकी जी के विवाह के पवित्र बंधन में बंधने के साथ ही मिथिलांचल भक्ति और उल्लास से सराबोर हो गया। मिथिला की पारंपरिक रीति-रिवाजों और मंगल गीतों के बीच संपन्न हुए इस महाउत्सव में श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
मिथिला संस्कृति की झलक
इस शुभ अवसर पर, जानकी मंदिर परिसर को विशेष रूप से सजाया गया था, जहाँ मिथिला की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक स्पष्ट दिखाई दे रही थी। चारों ओर पारंपरिक गीत और मंत्रोच्चार का माहौल था, जिसने वातावरण को और भी आध्यात्मिक बना दिया। विवाह की रस्में मिथिलांचल के पारंपरिक तरीके से पूरी की गईं, जो इस क्षेत्र की अनूठी सांस्कृतिक पहचान को दर्शाती हैं।
श्रद्धालुओं का जनसैलाब
प्रभु श्रीराम और जानकी जी के विवाह के इस भव्य आयोजन को देखने और इसमें शामिल होने के लिए भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से मांगलिक गीतों का गायन किया और इस पवित्र अवसर पर अपनी शुभकामनाएं व्यक्त कीं। मंदिर परिसर में भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
एकता और आस्था का प्रतीक
राम-जानकी विवाह का यह उत्सव न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह मिथिलांचल की एकता और आस्था का भी प्रतीक है। इस अवसर पर स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों ने मिलकर इस पावन पर्व को मनाया, जिससे आपसी भाईचारा और सद्भावना को बढ़ावा मिला।







