दरभंगा न्यूज: मिथिला की पावन धरा, जहां राम और सीता के विवाह की सदियों पुरानी गाथा आज भी कण-कण में गूंजती है. एक बार फिर वही मंगल घड़ी आई, जब ठाकुरबाड़ियों में प्रेम और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला. आखिर कैसा था यह अलौकिक विवाह उत्सव, जिसने पूरी नगरी को भक्ति के रंग में रंग दिया?
भक्तिमय हुआ दरभंगा का माहौल
दरभंगा जिले में भगवान राम और माता सीता के विवाह का पावन पर्व ‘सीताराम विवाह उत्सव’ बड़े ही हर्षोल्लास और भक्तिमय वातावरण में मनाया गया. इस विशेष अवसर पर जिले की सभी प्रमुख ठाकुरबाड़ियों (राम-जानकी मंदिरों) में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. हर तरफ उत्सव का माहौल था और पूरा शहर भक्ति के रंग में रंगा हुआ दिखाई दिया.
मंदिरों को विशेष रूप से सजाया गया था. रंग-बिरंगी रोशनी और फूलों से सजे गर्भगृह मनमोहक लग रहे थे. विवाह के पारंपरिक गीतों और भजनों से पूरा वातावरण गुंजायमान था, जिससे श्रद्धालुओं का मन पूरी तरह से भक्ति में लीन हो गया.
भजनों की अविरल धारा और श्रद्धालुओं का उत्साह
उत्सव के दौरान ठाकुरबाड़ियों से भजनों की अविरल रसधारा बहती रही. प्रातःकाल से लेकर देर रात तक भक्तगण भगवान राम और माता सीता के विवाह के मंगल गीत गाते रहे. विभिन्न टोलियों में आए श्रद्धालु नाचते-गाते हुए अपनी आस्था का प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान कई जगहों पर विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठानों का भी आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
उत्सव के प्रमुख आकर्षणों में शामिल थे:
- भगवान राम और माता सीता की प्रतिमाओं का विशेष श्रृंगार
- विवाह मंडप की स्थापना और पारंपरिक वैवाहिक रस्में
- विशेष आरती और प्रसाद वितरण
- भक्तों द्वारा भजन-कीर्तन और रामचरितमानस का पाठ
आस्था और परंपरा का अनूठा संगम
सीताराम विवाह उत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह मिथिला की सांस्कृतिक विरासत और परंपरा का भी प्रतीक है. यह पर्व भगवान राम और माता सीता के पवित्र बंधन को याद दिलाता है और मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाता है. इस उत्सव के माध्यम से समाज में प्रेम, सद्भाव और धार्मिक एकजुटता का संदेश प्रसारित होता है. दरभंगा में मनाए गए इस उत्सव ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि यहां के लोगों की आस्था अटूट है और वे अपनी प्राचीन परंपराओं को पूरे उत्साह के साथ जीवित रखे हुए हैं.
यह पूरा आयोजन श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा और आनंद का स्रोत बना रहा, जिससे दरभंगा नगरी का माहौल कई दिनों तक भक्तिमय बना रहा.







