पटना न्यूज़: बिहार की सियासत में एक सरकारी चिट्ठी ने भूचाल ला दिया है। आधी रात को वो फैसला लिया गया, जिसके बाद लालू परिवार से उनका सरकारी आवास छीन लिया गया है। इस कार्रवाई के बाद लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर मोर्चा खोल दिया है और सरकार पर तीखे हमले किए हैं।
बंगला खाली करने के आदेश पर मचा सियासी बवाल
बिहार में सरकार बदलने के बाद से ही राजनीतिक समीकरणों में उथल-पुथल जारी है। इसी क्रम में, राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी को आवंटित सरकारी आवास को वापस लेने का आदेश जारी कर दिया है। यह बंगला उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर मिला हुआ था। सरकार के इस फैसले के बाद से ही राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के खेमे में नाराजगी है और इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है।
इस फैसले के पीछे आधिकारिक तौर पर नियमों का हवाला दिया जा रहा है, लेकिन इसके समय को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। लालू परिवार के समर्थकों का कहना है कि यह कार्रवाई जानबूझकर उन्हें परेशान करने के लिए की गई है, खासकर जब लालू प्रसाद यादव का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है।
रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर निकाली भड़ास
पिता से आवास छीने जाने की खबर मिलते ही सिंगापुर में रह रहीं लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने फेसबुक और एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी भड़ास निकाली। उन्होंने एक के बाद एक कई पोस्ट कर सरकार के इस कदम की कड़ी निंदा की। रोहिणी ने अपने फेसबुक पोस्ट में सीधे तौर पर सरकार को चुनौती देते हुए लिखा, “घर से तो निकाल देंगे लेकिन बिहार की जनता के दिल से कैसे निकालिएगा।” उनका यह पोस्ट तेजी से वायरल हो गया और इस पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आने लगीं।
‘कद का तो सम्मान करते’
रोहिणी आचार्य ने सिर्फ आवास छीनने पर ही सवाल नहीं उठाया, बल्कि लालू प्रसाद यादव के स्वास्थ्य और उनके राजनीतिक कद का भी जिक्र किया। उन्होंने अपनी एक अन्य पोस्ट में लिखा, “सेहत नहीं तो कम से कम लालू जी के कद का सम्मान रखते।” इस बयान के जरिए उन्होंने यह बताने की कोशिश की कि सरकार को लालू यादव के वरिष्ठ और सम्मानित नेता होने का लिहाज करना चाहिए था।
रोहिणी के बयानों से साफ है कि लालू परिवार इस फैसले से बेहद आहत है। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कई सवाल दागे हैं:
- क्या यह कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध के तहत की गई है?
- लालू जी के स्वास्थ्य को देखते हुए क्या यह फैसला मानवीय है?
- सरकार उनके राजनीतिक कद का सम्मान क्यों नहीं कर रही है?
फिलहाल, बंगले का मामला अब सियासी रंग ले चुका है। एक तरफ जहां सरकार इसे एक सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया बता रही है, वहीं दूसरी ओर आरजेडी और लालू परिवार इसे सीधे तौर पर राजनीतिक हमला मान रहा है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर बिहार की सियासत और गरमा सकती है।







