दरभंगा न्यूज़: साल के उन अहम दिनों में से एक, जब हर भारतीय अपने सबसे बड़े ग्रंथ, संविधान को याद करता है, दरभंगा में भी उस दिन की गरिमा महसूस की गई। देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण बनाए रखने की शपथ के साथ, जिले के अधिकारियों ने संविधान की प्रस्तावना पढ़कर अपने संकल्प को दोहराया।
दरभंगा में संविधान दिवस के पावन अवसर पर जिले के आला अधिकारियों और कर्मचारियों ने भारतीय संविधान के प्रति अपनी अटूट निष्ठा का प्रदर्शन किया। जिलाधिकारी कौशल कुमार के निर्देशानुसार, उप विकास आयुक्त स्वप्निल ने सभी उपस्थित पदाधिकारियों एवं कर्मियों को संविधान की प्रस्तावना (Preamble) का पाठ करवाया। इस दौरान, सभी ने देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक आदर्शों को बनाए रखने का संकल्प लिया।
क्यों खास है 26 नवंबर?
उप विकास आयुक्त ने इस अवसर पर संविधान दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारत में प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन, यानी 26 नवंबर, 1949 को हमारी संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकृत किया था। हालांकि, यह 26 जनवरी, 1950 को पूर्ण रूप से लागू हुआ, जो हमें गणतंत्र दिवस के रूप में याद है।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि विश्व के सबसे विस्तृत संविधानों में से एक, भारतीय संविधान को तैयार करने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का लंबा समय लगा था। यह समय भारतीय राष्ट्र की विविधता और आकांक्षाओं को समाहित करने की गहन प्रक्रिया को दर्शाता है।
संविधान के आदर्श और नागरिक कर्तव्य
यह विशेष दिन हमें संविधान में निहित समानता, स्वतंत्रता और न्याय जैसे उच्च आदर्शों की याद दिलाता है। हमारा संविधान न केवल नागरिकों के अधिकारों का मार्गदर्शन करता है, बल्कि उनके कर्तव्यों का भी बोध कराता है। यह हमें अपने देश की एकता और अखंडता के प्रति हमेशा निष्ठावान रहने की प्रेरणा देता है। संविधान भारत के नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय प्रदान करने के साथ-साथ विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता का आश्वासन देता है।
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में अपर समाहर्ता आपदा प्रबंधन सलीम अख्तर, विशेष कार्य पदाधिकारी राजेश कुमार, उप निदेशक जन संपर्क पदाधिकारी सत्येंद्र प्रसाद, डीपीओ आईसीडीएस श्रीमती चांदनी सिंह सहित समाहरणालय परिसर के कई अन्य पदाधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद रहे।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना
इस अवसर पर संविधान की मूल भावना को रेखांकित करने वाली प्रस्तावना का भी पाठ किया गया, जो इस प्रकार है:
”हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को, सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।”







