कमतौल न्यूज़: जहां एक ओर समाज को नशे की दलदल से निकालने का संकल्प लिया गया, वहीं दूसरी ओर देश के संविधान की गरिमा को भी समझाया गया। कमतौल की छात्राओं ने एक ऐसी मुहिम छेड़ी, जिसने न केवल लोगों को शराबबंदी के दुष्परिणामों से अवगत कराया, बल्कि संवैधानिक मूल्यों के प्रति भी जागरूक किया। आखिर कैसे इन नन्ही कंधों ने एक साथ दो बड़े संदेशों को जन-जन तक पहुंचाया?
मद्य निषेध और संविधान दिवस के पावन अवसर पर, प्लस टू रामश्रृंगारी कन्या उच्च विद्यालय की छात्राओं ने एक विशाल जन जागरूकता रैली का आयोजन किया। विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिका भी इस पहल में छात्राओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले। छात्राओं ने “नशा मुक्त समाज बनाओ” जैसे सशक्त नारों के साथ, स्थानीय बाजार, प्रमुख रास्तों और आस-पास के मोहल्लों से गुजरते हुए लोगों को नशे के गंभीर दुष्परिणामों के बारे में जानकारी दी। इस रैली का मुख्य उद्देश्य लोगों को नशे की बुराई से दूर रहने और एक स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए प्रेरित करना था।
नशा मुक्ति की शपथ और संविधान का सम्मान
जागरूकता रैली के समापन के बाद, विद्यालय परिसर में एक महत्वपूर्ण समारोह आयोजित किया गया। यहां उपस्थित सभी छात्राओं और शिक्षकों ने आजीवन मद्यपान न करने की शपथ ली। इस प्रेरणादायक क्षण में, कई अभिभावकों को भी नशा मुक्ति की शपथ दिलाई गई, ताकि यह संदेश घर-घर तक पहुंच सके। इसके अतिरिक्त, इस अवसर पर भाषण एवं वाद-विवाद प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें छात्राओं ने संविधान के महत्व, नागरिक कर्तव्यों और नशा-मुक्त समाज की आवश्यकता पर अपने प्रभावशाली विचार प्रस्तुत किए।
सामाजिक बुराई से राष्ट्र निर्माण तक: प्रधानाध्यापक का संदेश
विद्यालय के प्रधानाध्यापक डॉ. शम्श तबरेज ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नशा एक ऐसी सामाजिक बुराई है जो व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से कमजोर कर देती है, जिससे समाज अंदर से खोखला हो जाता है। उन्होंने नशे को समाज की नींव कमजोर करने वाला कारक बताया और इससे दूर रहने की अपील की।
संविधान दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए डॉ. तबरेज ने कहा कि हमारा संविधान हमें समानता, न्याय, स्वतंत्रता और बंधुत्व का अमूल्य पाठ पढ़ाता है। उन्होंने जोर दिया कि संविधान के इन मूल मूल्यों को अपनाकर ही हम एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। कार्यक्रम के दौरान जीबु राम, अमरेंद्र कुमार, सरोज कुमार, प्रभाकर कुमार, दीपक कुमार झा, रुपेश कुमार, संदीप कुमार, आदित्य कुमार, मो. शोएब, लक्ष्मण कुमार, रामकुमार, ममता कुमारी, रानी कुमारी, बुलबुल कुमारी, श्वेता निधि, नीलम कुमारी, आरती सहित अन्य कई शिक्षक व शिक्षिकाओं ने भी अपने प्रेरणादायक विचार साझा किए।







