पटना न्यूज़: बिहार की सड़कों पर जल्द ही एक बड़ा और प्रगतिशील बदलाव दिखने वाला है। जिन सरकारी बसों की स्टीयरिंग पर अब तक सिर्फ पुरुषों का एकाधिकार था, अब वहां महिलाएं कमान संभालती नजर आएंगी। बिहार सरकार ने एक ऐसी योजना को हरी झंडी दे दी है, जो न केवल महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनेगी, बल्कि सामाजिक धारणाओं को भी चुनौती देगी।
क्या है सरकार की नई योजना?
बिहार सरकार ने घोषणा की है कि राज्य में चलने वाली ‘पिंक बसों’ का संचालन अब महिलाएं करेंगी। इस ऐतिहासिक पहल के तहत ‘जीविका दीदियों’ को विशेष प्रशिक्षण देकर ड्राइवर और कंडक्टर के रूप में नियुक्त किया जाएगा। यह कदम महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और परिवहन जैसे पुरुष-प्रधान क्षेत्र में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। सरकार का मानना है कि इससे न केवल महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि सार्वजनिक परिवहन में महिला यात्रियों के लिए सुरक्षा की भावना भी मजबूत होगी।
200 महिलाओं को मिलेगा रोजगार
इस योजना के पहले चरण में 200 जीविका दीदियों का चयन किया जाएगा। इन महिलाओं को पूरी तरह से पेशेवर ड्राइवर बनाने के लिए सरकार की ओर से निःशुल्क ट्रेनिंग दी जाएगी। चयनित महिलाओं को पटना स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च (IDTR) में भारी वाहन (Heavy Vehicle) चलाने का गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद इन्हें ड्राइवर और कंडक्टर के पदों पर नियुक्त किया जाएगा, जिससे उन्हें एक स्थायी रोजगार का अवसर मिलेगा।
कैसे होगी पूरी प्रक्रिया?
इस योजना के तहत महिलाओं को ड्राइवर बनाने की पूरी प्रक्रिया व्यवस्थित तरीके से पूरी की जाएगी।
- सबसे पहले, इच्छुक जीविका दीदियों से आवेदन लिए जाएंगे।
- चयनित महिलाओं को IDTR में आवासीय प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- प्रशिक्षण के दौरान उन्हें भारी वाहन चलाने के सभी तकनीकी और सुरक्षा पहलुओं की जानकारी दी जाएगी।
- सफलतापूर्वक ट्रेनिंग पूरी करने वाली महिलाओं को लाइसेंस और फिर नियुक्ति पत्र सौंपा जाएगा।
सड़क सुरक्षा पर भी सरकार का जोर
इस घोषणा के साथ-साथ परिवहन विभाग ने राज्य में सड़क सुरक्षा को लेकर भी अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। संबंधित मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि हेलमेट और सीटबेल्ट की जांच के लिए नियमित अभियान चलाए जाएं। उन्होंने कहा कि सड़क हादसों को रोकने के लिए नियमों का सख्ती से पालन करवाना बेहद जरूरी है। सरकार की यह दोहरी रणनीति एक तरफ जहां महिलाओं को रोजगार दे रही है, वहीं दूसरी तरफ सड़कों को सभी के लिए सुरक्षित बनाने पर भी काम कर रही है।







