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27 नवम्बर, 2025

श्वेत क्रांति के जनक को सलाम: डॉ. वर्गीज कुरियन की जयंती बनी ‘राष्ट्रीय दुग्ध दिवस’

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पटना सहित पूरे देश में हाल ही में श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन की जयंती को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के रूप में बड़े उत्साह के साथ मनाया गया. यह दिवस न केवल डॉ. कुरियन के असाधारण योगदान को श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक अवसर है, बल्कि भारतीय डेयरी उद्योग की उपलब्धियों और दूध के महत्व को रेखांकित करने का भी एक माध्यम है. इस अवसर पर विभिन्न संस्थानों और संगठनों द्वारा कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिनमें डॉ. कुरियन के जीवन और उनके कार्यों पर प्रकाश डाला गया.

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कौन थे डॉ. वर्गीज कुरियन?

डॉ. वर्गीज कुरियन, जिन्हें “भारत की श्वेत क्रांति का जनक” कहा जाता है, एक ऐसे दूरदर्शी व्यक्ति थे जिन्होंने भारत को दुनिया के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक देशों में से एक में बदल दिया. उनका जन्म 26 नवंबर, 1921 को केरल के कोझिकोड में हुआ था. उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई मद्रास और फिर अमेरिका से की. 1949 में भारत लौटने के बाद, उन्होंने गुजरात के आणंद में एक छोटे से डेयरी सहकारी में काम करना शुरू किया, जो बाद में ‘अमूल’ के नाम से विश्व-प्रसिद्ध ब्रांड बना.

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उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि ‘ऑपरेशन फ्लड’ थी, जिसे 1970 में लॉन्च किया गया था. यह दुनिया का सबसे बड़ा डेयरी विकास कार्यक्रम था, जिसने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में दुग्ध उत्पादन और वितरण प्रणाली को पूरी तरह से बदल दिया. डॉ. कुरियन के मॉडल ने लाखों छोटे और सीमांत किसानों को संगठित किया, जिससे उन्हें अपने उत्पाद के लिए बेहतर मूल्य और बाजार तक सीधी पहुंच मिली.

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क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय दुग्ध दिवस?

डॉ. वर्गीज कुरियन के जन्मदिन, 26 नवंबर को 2014 से राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह निर्णय डेयरी उद्योग में उनके अतुलनीय योगदान को सम्मान देने और आम जनता के बीच दूध और दुग्ध उत्पादों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए लिया गया था. यह दिन हमें याद दिलाता है कि दूध न केवल पोषण का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था और लाखों किसानों की आजीविका का भी आधार है.

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डॉ. कुरियन की अगुवाई में भारत ने न केवल दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल की, बल्कि इसने देश के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य पर भी गहरा प्रभाव डाला. उनकी दूरदर्शिता ने सहकारी आंदोलन को मजबूत किया और किसानों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया. राष्ट्रीय दुग्ध दिवस इन्हीं सिद्धांतों और उपलब्धियों का उत्सव है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा.

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