समस्तीपुर। रोसड़ा से एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसने पूरे नगर परिषद क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है। यहां के कार्यपालक पदाधिकारी उपेंद्र नाथ वर्मा के कई ठिकानों पर हुई छापेमारी में करोड़ों की नकदी और गहने बरामद हुए हैं। इस खुलासे ने न सिर्फ भ्रष्टाचार की कहानी को उजागर किया है, बल्कि सरकारी तंत्र में व्याप्त अनियमितताओं पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
समस्तीपुर जिले के रोसड़ा नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी (EO) उपेंद्र नाथ वर्मा अब जांच एजेंसियों के रडार पर हैं। हाल ही में, उनके विभिन्न आवासों और कार्यालयों पर एक साथ छापेमारी की गई, जिसके परिणामस्वरूप अकूत संपत्ति का खुलासा हुआ है। इस कार्रवाई से स्थानीय प्रशासन और आम जनता के बीच भूचाल आ गया है। जांच टीम को वर्मा के ठिकानों से करोड़ों रुपये की नकदी, सोने-चांदी के आभूषण और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं, जिनकी गिनती और जांच अभी भी जारी है।
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, बरामद हुई संपत्ति का मूल्य कई करोड़ रुपये में आंका जा रहा है। जांच अधिकारियों ने बताया कि छापेमारी के दौरान मिली नकदी और जेवरात की मात्रा इतनी अधिक थी कि उनकी गिनती के लिए मशीनों का इस्तेमाल करना पड़ा। यह दर्शाता है कि कार्यपालक पदाधिकारी ने अवैध तरीकों से बड़े पैमाने पर धन जमा किया था। इस छापेमारी के बाद से नगर परिषद के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों में भी दहशत का माहौल है।
करोड़ों की संपत्ति का खुलासा
उपेंद्र नाथ वर्मा, जो रोसड़ा नगर परिषद के महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत थे, उन पर आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप है। जांच एजेंसियों को लंबे समय से उनके खिलाफ शिकायतें मिल रही थीं, जिसके बाद पुख्ता सबूत जुटाकर यह बड़ी कार्रवाई की गई। छापेमारी दल को वर्मा के आवासों से भूखंडों के कागजात, बैंक पासबुक, निवेश संबंधी दस्तावेज और अन्य संपत्ति के प्रमाण भी मिले हैं, जिनकी गहनता से पड़ताल की जा रही है।
जांच अधिकारियों ने अभी तक बरामद हुई कुल संपत्ति का सटीक ब्योरा सार्वजनिक नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। बरामद हुई सामग्री में शामिल हैं:
- बड़ी मात्रा में भारतीय करेंसी नोट
- सोने के आभूषण (चेन, कंगन, अंगूठियां)
- चांदी के आभूषण और सिक्के
- कई बैंक खातों की पासबुक और चेकबुक
- जमीन और संपत्ति से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज
जांच एजेंसियों की पैनी नज़र
इस मामले को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी मुहिम के तौर पर देखा जा रहा है। जांच एजेंसियां अब उपेंद्र नाथ वर्मा के कार्यकाल के दौरान लिए गए सभी फैसलों, परियोजनाओं और वित्तीय लेन-देन की बारीकी से जांच कर रही हैं। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि उन्होंने किन-किन माध्यमों से यह काली कमाई जुटाई और इसमें और कौन-कौन लोग शामिल हो सकते हैं।
इस घटना ने एक बार फिर सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार की जड़ों को उजागर किया है। सरकार का स्पष्ट संदेश है कि भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। इस कार्रवाई से अन्य भ्रष्ट अधिकारियों को भी कड़ा संदेश मिला है कि वे जांच एजेंसियों की नजर से बच नहीं सकते। मामले की आगे की जांच जारी है और जल्द ही इस संबंध में और भी खुलासे होने की उम्मीद है।







