पटना। बिहार में पशुपालन और डेयरी सेक्टर को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया है, जिसका असर लाखों किसानों पर पड़ सकता है. अब तक पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग का हिस्सा रहा डेयरी अब एक स्वतंत्र विभाग बनेगा. लेकिन इस बड़े बदलाव के पीछे सरकार की क्या मंशा है और इससे पशुपालकों को क्या सीधा फायदा होगा?
डेयरी के लिए बनेगा अलग विभाग
बिहार सरकार ने राज्य में दुग्ध उत्पादन की बढ़ती संभावनाओं और पशुपालकों की आय में हो रही वृद्धि को देखते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री सुरेंद्र मेहता ने घोषणा की है कि जल्द ही डेयरी को एक अलग और स्वतंत्र विभाग के रूप में स्थापित किया जाएगा. इस कदम का मुख्य उद्देश्य डेयरी क्षेत्र को विशेष रूप से बढ़ावा देना और इसकी विकास की गति को और तेज करना है.
मंत्री सुरेंद्र मेहता ने बताया कि वर्तमान में दुग्ध उत्पादन एक बड़े उद्योग का रूप ले चुका है, जिससे सीधे तौर पर लाखों पशुपालक किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है. सरकार का मानना है कि एक समर्पित विभाग होने से इस क्षेत्र के लिए नीतियां बनाना, योजनाओं को लागू करना और किसानों तक सरकारी मदद पहुंचाना ज्यादा आसान और प्रभावी हो जाएगा.
क्यों पड़ी अलग विभाग की जरूरत?
बिहार में डेयरी उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और इसमें विकास की अपार संभावनाएं हैं. सरकार का लक्ष्य इस सेक्टर को संगठित कर इसे और पेशेवर बनाना है. एक अलग विभाग होने से निम्नलिखित क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जा सकेगा:
- दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए नई तकनीक और नस्ल सुधार कार्यक्रमों को बढ़ावा देना.
- किसानों को सब्सिडी, लोन और बीमा जैसी वित्तीय सहायता आसानी से उपलब्ध कराना.
- दूध के कलेक्शन, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग के लिए एक मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना.
- डेयरी प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता सुनिश्चित करना और ब्रांडिंग को प्रोत्साहित करना.
लावारिस पशुओं की समस्या का भी होगा समाधान
डेयरी सेक्टर को बढ़ावा देने के साथ-साथ सरकार ने सड़कों पर घूमने वाले लावारिस और आवारा पशुओं की समस्या पर भी ध्यान केंद्रित किया है. मंत्री ने कहा कि सरकार इन पशुओं के प्रबंधन के लिए भी एक ठोस व्यवस्था तैयार करेगी. इसके लिए आश्रय स्थल बनाने और उनके चारे-पानी का इंतजाम करने की योजना है. इस कदम से न केवल पशुओं को एक सुरक्षित ठिकाना मिलेगा, बल्कि शहरी और ग्रामीण इलाकों में होने वाली दुर्घटनाओं और फसलों के नुकसान को भी रोका जा सकेगा.
कुल मिलाकर, सरकार का यह दोहरा प्रयास न केवल संगठित डेयरी उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का वादा करता है, बल्कि समाज में एक बड़ी समस्या बन चुके लावारिस पशुओं के प्रबंधन का भी रास्ता साफ करता है. इस फैसले से आने वाले समय में बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं.


