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27 नवम्बर, 2025

बिहार में मोबाइल चोरों पर ‘सरकारी’ हंटर, 6000 से ज़्यादा फ़ोन ढूंढ निकाले, जानिए कैसे लौटा रहा मुस्कान

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पटना:

मोबाइल चोरी हुआ तो समझिए वापस मिलना नामुमकिन? अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो ये खबर आपकी सोच बदल देगी। बिहार में एक सरकारी ‘जासूस’ ने चोरों के होश उड़ा दिए हैं और हज़ारों लोगों के चेहरे पर मुस्कान लौटा दी है।

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बिहार में मोबाइल चोरों और झपटमारों के लिए अब बुरे दिन आ गए हैं। केंद्र सरकार का एक डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘संचार साथी’ उनके लिए काल साबित हो रहा है। हालिया आंकड़ों के अनुसार, इस सिस्टम के ज़रिए राज्य में 6,131 से ज़्यादा चोरी हो चुके या खोए हुए मोबाइल फोनों को सफलतापूर्वक ट्रेस कर लिया गया है। यह आंकड़ा इस बात का सबूत है कि कैसे टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल अपराध पर लगाम कस सकता है।

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क्या है ‘संचार साथी’ और कैसे करता है काम?

‘संचार साथी’ एक सरकारी डिजिटल टूल है, जिसे विशेष रूप से खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन को ट्रैक करने और ब्लॉक करने के लिए बनाया गया है। जब किसी व्यक्ति का फोन खो जाता है, तो वह इस पोर्टल पर जाकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। शिकायत दर्ज होते ही यह सिस्टम उस फोन को ब्लॉक कर देता है, जिससे उसका गलत इस्तेमाल नहीं हो पाता।

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फोन ब्लॉक होने के साथ ही यह सिस्टम उसकी लोकेशन को भी ट्रेस करना शुरू कर देता है। जैसे ही चोर उस फोन में कोई नया सिम कार्ड डालता है, पुलिस और संबंधित व्यक्ति को तुरंत अलर्ट मिल जाता है। इसी जानकारी के आधार पर पुलिस चोर तक पहुंच जाती है और फोन बरामद कर लेती है।

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मोबाइल चोरों के लिए बना सबसे बड़ा सिरदर्द

पहले मोबाइल चोरी होने के बाद उसका मिलना लगभग नामुमकिन माना जाता था। चोर आसानी से IMEI नंबर बदलकर या पार्ट्स अलग करके बेच देते थे। लेकिन ‘संचार साथी’ पोर्टल ने इस पूरे खेल को पलट दिया है। अब जैसे ही चोरी के फोन में कोई नया सिम लगता है, सिस्टम उसे पकड़ लेता है, जिससे चोरों के लिए इसे इस्तेमाल करना या बेचना बेहद मुश्किल हो गया है।

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आम लोगों को मिली बड़ी राहत

स्मार्टफोन आज हर किसी के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें उनकी निजी जानकारी से लेकर बैंकिंग डिटेल्स तक सब कुछ होता है। ऐसे में फोन का खोना एक बड़ा आर्थिक और मानसिक झटका होता है। बिहार में इस पोर्टल की सफलता ने हज़ारों लोगों को बड़ी राहत दी है। अब उन्हें एक उम्मीद है कि उनका कीमती फोन वापस मिल सकता है। यह सरकारी पहल आम आदमी के लिए टेक्नोलॉजी का एक बेहतरीन उदाहरण पेश कर रही है।

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