पटना की सियासी गलियों में इन दिनों गर्मागर्मी है, और वजह है बिहार की नई-नवेली NDA सरकार पर लगा एक संगीन आरोप. बहुमत के साथ सत्ता में आई एनडीए सरकार पर बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने अपने इकलौते विधायक को तोड़ने की कोशिश का आरोप जड़ा है. क्या बिहार में फिर से दल-बदल का खेल शुरू हो गया है, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है?
हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने बिहार में भारी बहुमत के साथ सरकार तो बना ली है, लेकिन इसके साथ ही उस पर एक गंभीर आरोप भी लग गया है. यह आरोप बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने लगाया है, जिसने विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट पर जीत दर्ज की थी. बसपा का दावा है कि सत्ता पक्ष उसके इस इकलौते विधायक को अपने पाले में करने का प्रयास कर रहा है, जिससे बिहार की राजनीति में खलबली मच गई है.
बसपा को यह जीत कैमूर जिले की रामगढ़ विधानसभा सीट से मिली थी, जहां पार्टी के सतीश कुमार सिंह यादव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार अशोक कुमार सिंह को बेहद कड़े मुकाबले में मात्र 30 वोटों के अंतर से हराया था. अब इस एक विधायक पर सत्ता पक्ष की नजर होने की आशंका ने बसपा नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है.
‘सत्ता पक्ष कर रहा संपर्क’, BSP का दावा
26 नवंबर, 2025 को पटना के महाराजा कॉम्प्लेक्स में बसपा की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई. इस बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे. उन्होंने संगठन की मजबूती और विधायकों की निष्ठा पर जोर देते हुए स्पष्ट किया कि पार्टी दल-बदल के किसी भी प्रयास का पूरी दृढ़ता से मुकाबला करेगी.
बैठक के दौरान बिहार प्रभारी अनिल कुमार ने दावा किया कि सत्ता पक्ष लगातार उनके विधायक सतीश यादव से संपर्क साधने की कोशिश कर रहा है और उन्हें अपने पक्ष में करने के प्रयास जारी हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि बसपा विधायक किसी भी दबाव या लालच में नहीं आने वाले हैं. यह आरोप ऐसे समय में काफी अहम माने जा रहे हैं, जब बिहार की राजनीति में बसपा विधायकों के दल-बदल का एक पुराना इतिहास रहा है.
बिहार में BSP के दल-बदल का पुराना इतिहास
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव को याद करें तो कैमूर जिले की चैनपुर सीट पर बसपा के मोहम्मद जमा खान ने जीत हासिल की थी. लेकिन उनकी यह जीत बसपा के साथ ज्यादा समय तक नहीं टिकी. 2021 में मोहम्मद जमा खान ने बसपा का दामन छोड़कर जनता दल यूनाइटेड (JDU) में शामिल हो गए थे. दल बदलने का उन्हें तत्काल लाभ भी मिला और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें अपनी कैबिनेट में शामिल करते हुए अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बना दिया था.
मोहम्मद जमा खान ने इस बार भी 2025 के विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड (JDU) के टिकट पर चैनपुर से जीत दर्ज की है और वह एक बार फिर नीतीश सरकार में मंत्री बनाए गए हैं. वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में एकमात्र मुस्लिम मंत्री हैं. जमा खान का यह दल-बदल का प्रकरण बसपा के लिए एक सबक रहा है, जिसे देखते हुए इस बार पार्टी अपने एकमात्र विधायक को लेकर अधिक सतर्कता बरत रही है.
इसी पृष्ठभूमि में बसपा को आशंका है कि 2025 में जीत हासिल करने वाले उनके एकमात्र विधायक भी कहीं सत्ता पक्ष की रणनीति का निशाना न बन जाएं. पार्टी की समीक्षा बैठक में इस पूरे मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई और पार्टी नेतृत्व ने यह संकेत दिया कि संगठन किसी भी प्रकार की टूट या दल-बदल की आशंका को रोकने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है ताकि इतिहास खुद को दोहरा न सके.





