राजधानी दिल्ली से लेकर बिहार की गलियों तक, मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर जारी राजनीतिक बहस ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। इस संवेदनशील मुद्दे पर लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) की सांसद शांभवी चौधरी ने विपक्ष पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि विपक्ष केवल निराधार मुद्दे उछालकर जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि उनकी राजनीतिक रणनीतियां लगातार विफल हो रही हैं। आखिर क्या है यह विशेष पुनरीक्षण और क्यों विपक्ष इस पर मुखर है?
विपक्ष पर शांभवी का सीधा हमला
सांसद शांभवी चौधरी ने विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा कि, “विपक्ष में होने के नाते वे कुछ न कुछ बोलते ही रहेंगे।” उन्होंने जोर देकर कहा कि विपक्ष एसआईआर के वास्तविक उद्देश्य को समझने में विफल रहा है। शांभवी के अनुसार, एसआईआर का मुख्य लक्ष्य लोकतंत्र के सबसे बड़े अधिकार, यानी मतदान के अधिकार को और अधिक मजबूत बनाना है। उनका तर्क है कि यह प्रक्रिया किसी के अधिकार छीनने के बजाय लोकतांत्रिक प्रणाली को सशक्त करती है।
चौधरी ने विपक्ष की राजनीतिक स्थिति पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि देशभर में विपक्ष लगातार कमजोर होता जा रहा है और उनकी रणनीतियाँ बार-बार विफल हो रही हैं। चुनावों में लगातार हार का सामना करने के बाद, विपक्ष अब एसआईआर को एक ढाल के रूप में इस्तेमाल कर अपनी राजनीति बचाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने विपक्ष पर जनता में अनावश्यक भय फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “ये लोग जनता को डराने का काम कर रहे हैं। बिहार में भी एसआईआर को एक बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की गई, लेकिन बिहार की जनता ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दे दिया।”
एसआईआर: लोकतंत्र और राष्ट्रीय सुरक्षा का मजबूत आधार
शांभवी चौधरी ने दावा किया कि जनता अब इस बात को समझ चुकी है कि एसआईआर किसी के अधिकारों का हनन करने के लिए नहीं, बल्कि नागरिक अधिकारों को और मजबूत बनाने के लिए लाया जा रहा है। उनके मुताबिक, यह देश के नागरिकों की पहचान और उनके अधिकारों को सुरक्षित करने का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत किसी भी प्रकार के घुसपैठियों को अनुमति नहीं देता है और एसआईआर इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सांसद ने आगे कहा कि जब देश की सुरक्षा को प्रभावित करने वाले तत्वों पर कड़ी निगरानी आवश्यक है, तो एसआईआर जैसी व्यवस्थाएं और भी महत्वपूर्ण हो जाती हैं।
बढ़ता राजनीतिक तापमान
राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर एसआईआर को लेकर राजनीतिक तापमान लगातार बढ़ रहा है। एक ओर विपक्ष इसे ‘संदिग्ध’ प्रक्रिया बताकर विरोध कर रहा है, वहीं दूसरी ओर सरकार और उसके समर्थक इसे ‘बेहतर प्रशासन और सुरक्षित नागरिक अधिकार’ की दिशा में एक बड़ा सुधार मान रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि मतदाता सूची के इस विशेष पुनरीक्षण पर राजनीतिक बयानबाजी का सिलसिला आगे क्या मोड़ लेता है।







