बिहार न्यूज़: भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली सरकार के राज में एक अधिकारी ने कैसे रिश्वतखोरी की सारी हदें पार कर दीं? एक खनन इंस्पेक्टर पर उत्तर प्रदेश के एक ट्रक मालिक से 4.40 लाख रुपये घूस लेने का संगीन आरोप लगा है, जिस पर अब तीन महीने बाद कार्रवाई शुरू हुई है।
राज्य में सुशासन और पारदर्शिता के दावों के बीच, एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक खनन इंस्पेक्टर पर उत्तर प्रदेश के एक ट्रक मालिक से 4.40 लाख रुपये की मोटी रकम रिश्वत के तौर पर लेने का आरोप है। यह मामला बिहार में भ्रष्टाचार के बढ़ते मामलों को उजागर करता है, जहाँ सरकारी विभागों में अवैध वसूली के आरोप आम होते जा रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के मुताबिक, खनन इंस्पेक्टर ने यह रिश्वत एक ट्रक को अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) दिलवाने के एवज में ली थी। ट्रक मालिक को अपनी गाड़ी के कागजात ठीक करवाने और उसे बिना किसी परेशानी के चलाने के लिए कथित तौर पर यह रकम अदा करनी पड़ी थी। यह घटना सरकारी प्रक्रियाओं में रिश्वतखोरी की गहरी जड़ें दर्शाती है, जहाँ वैध काम करवाने के लिए भी लोगों को अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है।
यह और भी चौंकाने वाली बात है कि शिकायत और विभागीय आदेश जारी होने के लगभग तीन महीने बाद इस मामले में जांच शुरू की गई है। इस देरी पर कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों इतने समय तक इस गंभीर आरोप पर पर्दा डालने की कोशिश की गई या कार्रवाई में विलंब किया गया। यह धीमी गति कहीं न कहीं जांच की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े करती है।
जांच की धीमी रफ्तार पर सवाल
अब, इस मामले की जांच के लिए अधिकारियों ने 28 नवंबर की तारीख तय की है, जब आरोपी खनन इंस्पेक्टर और शिकायतकर्ता ट्रक मालिक दोनों को अपने-अपने सबूत पेश करने होंगे। जांच दल इस बात की पड़ताल करेगा कि क्या खनन इंस्पेक्टर ने वास्तव में रिश्वत ली थी और यदि हाँ, तो उसके पीछे क्या मकसद था। उम्मीद है कि इस जांच से सच्चाई सामने आएगी और दोषियों को सजा मिलेगी।
यह घटना बिहार में खनन विभाग की कार्यप्रणाली और उसमें व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है। राज्य सरकार को ऐसे मामलों में त्वरित और पारदर्शी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि जनता का विश्वास सरकारी तंत्र पर बना रहे और भ्रष्ट अधिकारियों को सख्त संदेश मिले। ऐसे मामलों को तुरंत निपटाना ही भ्रष्टाचार मुक्त समाज की दिशा में पहला कदम हो सकता है।







