पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस खेमे में हलचल तेज़ हो गई है। महज छह सीटों पर सिमटने के बाद अब आलाकमान ने हार के गहरे राज़ उगलवाने और भविष्य की रणनीति तय करने के लिए दिल्ली में बड़ी बैठक बुलाई है। सवाल यह है कि क्या इस गहन मंथन से पार्टी बिहार में अपने पुराने गौरव को वापस पा सकेगी?
दिल्ली में 27 नवंबर, 2025 को इंदिरा भवन में कांग्रेस पार्टी एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक आयोजित कर रही है। बिहार विधानसभा चुनाव में मात्र छह सीटें जीतने के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद, पार्टी नेतृत्व ने यह कदम उठाया है। इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश प्रभारी, पूर्व सीएलपी नेता, सभी सांसद-विधायक और उन 61 प्रत्याशियों को बुलाया गया है, जिन्होंने पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। चुनाव परिणाम आने के बाद यह प्रदेश नेताओं के साथ कांग्रेस की पहली आधिकारिक समीक्षा बैठक है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, बैठक का प्राथमिक उद्देश्य विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के कारणों की समीक्षा करना और बिहार में कांग्रेस के भविष्य के लिए एक नई सियासी रणनीति तैयार करना है। सभी 61 प्रत्याशियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें। इन रिपोर्टों में हार के मुख्य कारणों, स्थानीय मुद्दों के प्रभाव, संगठनात्मक कमजोरियों और बूथ स्तर पर पार्टी की वास्तविक स्थिति का गहराई से विश्लेषण होना चाहिए। इन रिपोर्टों को ही आगे की चुनावी रणनीति का आधार बनाया जाएगा।
हार के कारणों पर गहन मंथन
कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि इतनी बड़ी हार के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें जमीनी स्तर पर संगठन की कमजोरी, मतदाताओं तक सही संदेश न पहुंच पाना, या स्थानीय स्तर पर उत्पन्न हुई प्रतिकूल परिस्थितियाँ शामिल हैं। इस बैठक के माध्यम से पार्टी इन सभी पहलुओं पर खुलकर चर्चा करना चाहती है ताकि भविष्य में ऐसी गलतियों से बचा जा सके। प्रत्याशियों द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली विस्तृत रिपोर्टें इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी, क्योंकि वे जमीनी हकीकत को सामने लाएंगी।
बैठक में केवल पिछली हार की समीक्षा ही नहीं होगी, बल्कि आगामी पंचायत, लोकसभा और अन्य स्थानीय निकाय चुनावों को ध्यान में रखते हुए संगठनात्मक सुधारों पर भी विस्तृत चर्चा होने की संभावना है। पार्टी इस बात पर विचार करेगी कि भविष्य के लिए नए और सक्षम नेताओं तथा संभावित उम्मीदवारों की पहचान कैसे की जाए। साथ ही, यह भी तय किया जाएगा कि क्या मौजूदा नेतृत्व में बदलाव की आवश्यकता है या संगठन में बड़े पैमाने पर संरचनात्मक सुधार किए जाएं।
भविष्य की रणनीति और संगठनात्मक बदलाव
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस नेतृत्व जन-संपर्क अभियानों को तेज करने, विचार-मंथन शिविर आयोजित करने, जमीनी स्तर पर संगठन को पुनर्गठित करने और सोशल मीडिया पर अपनी सक्रियता बढ़ाने जैसे विषयों पर भी गहन विचार करेगा। पार्टी को उम्मीद है कि यह बैठक बिहार में उसके राजनीतिक भविष्य की दिशा तय करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में केवल कांग्रेस ही नहीं, बल्कि महागठबंधन के अन्य घटक दलों का प्रदर्शन भी उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा। जहां कांग्रेस केवल छह सीटों पर सिमट गई, वहीं राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को भी सिर्फ 25 सीटों से संतोष करना पड़ा। आरजेडी भी अपनी हार की समीक्षा के लिए अलग से बैठकें कर रही है, जो बिहार में विपक्षी गठबंधन के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय का संकेत है।


