Bihar Land Rule @पटना न्यूज़: बिहार में पुश्तैनी ज़मीन की बिक्री और खरीद को लेकर अक्सर लोगों को असमंजस की स्थिति का सामना करना पड़ता है। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर ज़मीन की रसीद आपके नाम पर नहीं, बल्कि पूर्वज के नाम पर है, तो क्या आप अपनी पैतृक संपत्ति बेच सकते हैं? क्या ऐसी ज़मीन की रजिस्ट्री संभव है? इन सभी सवालों का जवाब बिहार सरकार के एक नए आदेश ने स्पष्ट कर दिया है, जिसने लाखों लोगों को बड़ी राहत दी है और ज़मीन संबंधी लेन-देन को पारदर्शी बनाया है।
पुश्तैनी ज़मीन की रजिस्ट्री: क्या थे पुराने नियम?
बिहार में पैतृक संपत्ति की बिक्री और खरीद हमेशा से एक जटिल प्रक्रिया रही है। अक्सर देखा जाता था कि पुश्तैनी ज़मीन का म्यूटेशन (दाखिल-ख़ारिज) कई पीढ़ियों तक नहीं हो पाता था, और ज़मीन की लगान रसीद पूर्वजों के नाम पर ही चली आ रही होती थी। ऐसी स्थिति में, यदि कोई व्यक्ति अपनी पैतृक संपत्ति बेचना चाहता था, तो उसे कई तरह की कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ता था। रजिस्ट्री कार्यालय अक्सर ज़मीन की रसीद वर्तमान विक्रेता के नाम पर न होने के कारण रजिस्ट्री करने से मना कर देते थे, जिससे ज़मीन मालिक और खरीदार दोनों को परेशानी होती थी।
नया आदेश क्या कहता है?
बिहार सरकार ने अब इस पुरानी जटिलता को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। इस नए आदेश के अनुसार, यदि पुश्तैनी ज़मीन की रसीद वर्तमान विक्रेता के नाम पर नहीं है, तब भी उस ज़मीन की बिक्री और रजिस्ट्री की जा सकती है। बशर्ते, विक्रेता को यह साबित करना होगा कि वह संपत्ति का वास्तविक और वैध उत्तराधिकारी है। इस नियम का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वास्तविक हकदार अपनी संपत्ति का लेन-देन कर सकें, जबकि धोखाधड़ी पर लगाम लगाई जा सके।
रजिस्ट्री के लिए अब कौन से दस्तावेज़ ज़रूरी?
नए दिशानिर्देशों के तहत, पैतृक संपत्ति की रजिस्ट्री के लिए अब कई अन्य दस्तावेज़ों को भी मान्य किया गया है, जो विक्रेता के वैध उत्तराधिकारी होने का प्रमाण देते हैं। इन दस्तावेज़ों में शामिल हैं:
- वंशावली प्रमाण पत्र: यह साबित करता है कि विक्रेता, ज़मीन के मूल रिकॉर्डेड मालिक का सीधा वंशज है।
- मृत्यु प्रमाण पत्र: पूर्वजों के मृत्यु प्रमाण पत्र, जिससे उत्तराधिकार की श्रृंखला स्थापित हो सके।
- विभाजन विलेख (बंटवारानामा): यदि संपत्ति का पारिवारिक बँटवारा हो चुका है, तो उसका पंजीकृत दस्तावेज़।
- अदालत का आदेश: यदि संपत्ति से संबंधित कोई अदालती आदेश या उत्तराधिकार प्रमाण पत्र है।
- शपथ पत्र: विक्रेता द्वारा प्रस्तुत एक हलफनामा, जिसमें वह अपनी उत्तराधिकारी स्थिति की पुष्टि करता है।
- मौजूदा लगान रसीद: भले ही यह पूर्वज के नाम पर हो, इसे प्रस्तुत करना आवश्यक होगा।
- पहचान पत्र: आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसे वैध पहचान दस्तावेज़।
इन दस्तावेज़ों के माध्यम से रजिस्ट्री कार्यालय यह सुनिश्चित करेगा कि विक्रेता का संपत्ति पर वैध स्वामित्व है और वह उसे बेचने का अधिकार रखता है।
किन स्थितियों में नहीं होगी रजिस्ट्री?
हालांकि नए आदेश ने रजिस्ट्री की प्रक्रिया को आसान बनाया है, फिर भी कुछ ऐसी स्थितियाँ हैं जहाँ रजिस्ट्री नहीं की जा सकेगी:
- यदि संपत्ति पर कोई कानूनी विवाद चल रहा है।
- उत्तराधिकार के प्रमाण में कोई स्पष्टता या कमी हो।
- यदि संपत्ति नाबालिग के नाम पर हो और उचित कानूनी अभिभावक की अनुमति न हो।
- यदि ज़मीन सरकारी या विवादित सीमा वाली हो।
खरीदार और विक्रेता रखें इन बातों का ध्यान
इस नए आदेश से जहाँ विक्रेताओं को राहत मिली है, वहीं खरीदारों को भी अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी। खरीदारों को सलाह दी जाती है कि वे विक्रेता द्वारा प्रस्तुत सभी दस्तावेज़ों की गहनता से जाँच करें और किसी अनुभवी वकील से सलाह लें। यह सुनिश्चित करें कि संपत्ति पर कोई अन्य दावा करने वाला न हो। वहीं, विक्रेताओं को भी सभी आवश्यक दस्तावेज़ों को पहले से तैयार रखना चाहिए ताकि रजिस्ट्री की प्रक्रिया में कोई बाधा न आए। रजिस्ट्री के बाद, नए मालिक को जल्द से जल्द संपत्ति का म्यूटेशन अपने नाम कराना अनिवार्य है।
बिहार सरकार का यह कदम पैतृक संपत्ति से जुड़े लेन-देन को सरल, सुरक्षित और अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह न केवल ज़मीन मालिकों को उनकी संपत्ति का सही मूल्य दिलाने में मदद करेगा, बल्कि राज्य में भूमि विवादों को कम करने में भी सहायक होगा।


