पटना यूनिवर्सिटी का माहौल गुरुवार को अचानक गरमा गया. शांत रहने वाले कैंपस में नारों की गूंज सुनाई देने लगी और छात्रों का हुजूम प्रशासन के खिलाफ लामबंद हो गया. वजह थी वो एक मांग, जिसे लेकर लंबे समय से केवल आश्वासन ही मिल रहे हैं – छात्र संघ का चुनाव.
गुरुवार को पटना यूनिवर्सिटी (पीयू) के छात्रों ने छात्र संघ चुनाव कराने की अपनी पुरानी मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया. विश्वविद्यालय परिसर में एकत्रित होकर छात्रों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और जल्द से जल्द चुनाव की तारीखों का ऐलान करने की मांग उठाई. इस प्रदर्शन ने एक बार फिर कैंपस में छात्र राजनीति की सुगबुगाहट को तेज कर दिया है.
आखिर क्यों सड़कों पर उतरे छात्र?
पटना यूनिवर्सिटी में छात्र संघ चुनाव काफी समय से लंबित हैं. छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर जानबूझकर देरी कर रहा है. छात्र संघ के अभाव में छात्रों को अपनी समस्याओं और मांगों को प्रशासन तक पहुंचाने के लिए कोई आधिकारिक मंच नहीं मिल पा रहा है. चाहे वह हॉस्टल की समस्या हो, लाइब्रेरी की सुविधा हो या फिर अकादमिक कैलेंडर का मुद्दा, छात्रों को अपनी आवाज उठाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. इसी निष्क्रियता के विरोध में छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा और वे प्रदर्शन करने को मजबूर हुए.
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प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने स्पष्ट किया कि छात्र संघ उनका लोकतांत्रिक अधिकार है और विश्वविद्यालय इसे और अधिक समय तक नजरअंदाज नहीं कर सकता. उनका कहना था कि एक प्रतिनिधि निकाय के बिना, छात्रों और प्रशासन के बीच संवाद की खाई लगातार चौड़ी होती जा रही है.
छात्रों की ये हैं प्रमुख मांगें
प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगों को स्पष्ट रूप से सामने रखा. उनका मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालय में एक क्रियाशील और लोकतांत्रिक छात्र संघ की स्थापना करना है. छात्रों की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
- विश्वविद्यालय प्रशासन को तत्काल छात्र संघ चुनाव की तारीखों की घोषणा करनी चाहिए.
- पूरी चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित की जाए.
- विश्वविद्यालय परिसर में लोकतांत्रिक माहौल को बहाल किया जाए, ताकि छात्र बिना किसी दबाव के अपने प्रतिनिधियों का चुनाव कर सकें.
प्रशासन की चुप्पी और आगे की राह
छात्रों के इस प्रदर्शन ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव बढ़ा दिया है. छात्रों ने चेतावनी दी ہے कि यदि उनकी मांगों पर जल्द ही कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई, तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे. फिलहाल, सबकी निगाहें पटना यूनिवर्सिटी प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं. यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या यह प्रदर्शन विश्वविद्यालय को छात्र संघ चुनाव कराने के लिए मजबूर कर पाता है या यह मामला एक बार फिर ठंडे बस्ते में चला जाता है.







