पटना न्यूज़: बिहार विधानसभा में एक नए चेहरे की एंट्री हुई है, जिसकी कहानी अपने आप में अनूठी है। रामगढ़ विधानसभा सीट से जीत दर्ज कर बसपा के एकमात्र विधायक सतीश कुमार यादव सदन में पहुँच चुके हैं। उनकी यह जीत और विधानसभा में उनकी मौजूदगी कई मायनों में ख़ास है, क्योंकि वे अकेले ही अपनी पार्टी की नुमाइंदगी करने वाले हैं। लेकिन क्या एक अकेला विधायक सरकार के सामने अपनी बात उतनी ही मजबूती से रख पाएगा? सतीश यादव ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं और विपक्ष के अपने ‘रोडमैप’ का खुलासा भी किया है।
मायावती के साथ पूरी निष्ठा
सदन में प्रवेश से पहले मीडिया से बातचीत करते हुए सतीश यादव ने स्पष्ट किया कि वे बसपा सुप्रीमो मायावती की विचारधारा और नीतियों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि उनका दृढ़ संकल्प है कि वे बहन मायावती के मार्गदर्शन में बिहार में बसपा को मजबूत करने के लिए पूरी निष्ठा के साथ काम करेंगे। भले ही इस बार बसपा को सिर्फ एक सीट मिली हो, लेकिन सतीश यादव ने भरोसा दिलाया कि वे अकेले ही सदन में अपनी और अपनी पार्टी की आवाज को प्रभावी तरीके से उठाएंगे। उनका कहना था कि संख्या बल भले ही कम हो, लेकिन विचारों की शक्ति कम नहीं होगी।
रामगढ़ के मुद्दों को देंगे तरजीह
अपने गृह क्षेत्र रामगढ़ विधानसभा की समस्याओं पर सतीश यादव ने विस्तार से बात की। उन्होंने आश्वासन दिया कि अपने क्षेत्र से जुड़े हर छोटे-बड़े मुद्दे को वे पूरी मजबूती से उठाएंगे। उनकी प्राथमिकता होगी कि रामगढ़ की जनता की आवाज को पहले सड़क पर आंदोलन के माध्यम से और फिर विधानसभा के पटल पर सरकार तक पहुंचाया जाए। उन्होंने विशेष रूप से शिक्षा की बदहाल स्थिति, सड़कों की जर्जर हालत, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और क्षेत्र में बढ़ती बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर चिंता व्यक्त की। यादव ने कहा कि इन बुनियादी समस्याओं के समाधान के लिए वे व्यापक स्तर पर काम करेंगे और सीधे तौर पर लोगों की मुश्किलों को सरकार के सामने रखकर उनके समाधान के लिए दबाव बनाएंगे।
विपक्ष की भूमिका पर अडिग
विधानसभा के भीतर अपनी भूमिका को परिभाषित करते हुए सतीश यादव ने साफ किया कि वे एक पूर्णकालिक और सशक्त विपक्षी सदस्य के तौर पर काम करेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि विपक्ष का मुख्य दायित्व सरकार की प्रत्येक नीति और निर्णय पर पैनी नजर रखना, आवश्यकता पड़ने पर सवाल उठाना और जनता के हित में बेहतर विकल्प प्रस्तुत करना है। उनका मानना है कि एक विधायक होने के बावजूद वे अपनी इस जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी और मजबूती के साथ निभाएंगे।
सत्ताधारी दल की ओर से संभावित राजनीतिक ‘डोरे’ डाले जाने की अटकलों पर सतीश यादव ने संतुलित जवाब दिया। उन्होंने कहा कि राजनीति में ऐसे प्रयास सामान्य बात हैं और ये चलते रहते हैं। लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वे अपनी राजनीतिक विचारधारा और बसपा की मूल नीतियों से किसी भी सूरत में समझौता नहीं करेंगे। उनके इस बयान से यह संदेश साफ हो गया कि वे अपने राजनीतिक मूल्यों और सिद्धांतों पर अडिग रहेंगे। सतीश कुमार यादव का सदन में प्रवेश न केवल उनके लिए बल्कि रामगढ़ के उन मतदाताओं के लिए भी एक नई उम्मीद लेकर आया है, जिन्होंने उन पर भरोसा जताया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि एक ‘एकल’ विधायक के रूप में वे कितनी मजबूती से अपनी आवाज बुलंद कर पाते हैं और जनता की अपेक्षाओं पर कितना खरा उतरते हैं।








