पटना से खबर है. देश में एसआईआर को लेकर जारी सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस मुद्दे पर अब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा आमने-सामने आ गए हैं. अखिलेश के गंभीर आरोपों के बीच कुशवाहा ने उन पर तीखा तंज कसा है, जिसने इस विवाद को और गहरा दिया है.
राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के एसआईआर संबंधित बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. कुशवाहा ने अखिलेश पर तंज कसते हुए कहा कि वे बिहार में बहुत क्रांति करने की बात कर रहे थे, लेकिन प्रदेश की जनता ने उन्हें बता दिया है कि एसआईआर कोई मुद्दा नहीं है.
एसआईआर कोई मुद्दा नहीं – उपेंद्र कुशवाहा
मीडिया से बातचीत में उपेंद्र कुशवाहा से पूछा गया कि अखिलेश यादव का कहना है कि यदि एसआईआर पूरे देश में लागू हो गया, तो बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा लागू किए गए संविधान के अधिकार भी छिन जाएंगे. इस सवाल के जवाब में कुशवाहा ने साफ कहा कि एसआईआर कोई मुद्दा है ही नहीं, इसे बेवजह मुद्दा बनाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने अखिलेश यादव को सद्बुद्धि मिलने की कामना करते हुए कहा कि इस तरह के बयानों से उन्हें कोई लाभ नहीं होने वाला है.
दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने एसआईआर के मुद्दे पर भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने दावा किया है कि चुनाव आयोग और भाजपा के बीच मिलीभगत चल रही है और एसआईआर के बहाने लोगों के वोट डालने के अधिकार को छीना जा रहा है.
संविधान और मताधिकार पर खतरा – अखिलेश यादव
लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) पर काम पूरा करने के लिए जल्दबाजी का दबाव बनाया जा रहा है, जिसके चलते कुछ दुखद घटनाएं भी सामने आई हैं, जिनमें आत्महत्याएं शामिल हैं.
अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी की पुरानी मांग को दोहराते हुए कहा कि बीएलओ पर काम का अनावश्यक दबाव नहीं बढ़ाना चाहिए, क्योंकि एसआईआर एक अत्यंत जिम्मेदारी भरा और सावधानी से करने वाला कार्य है. उन्होंने समझाया कि एक बार यदि किसी व्यक्ति का फॉर्म खारिज हो जाता है और उसका वोट नहीं बन पाता, तो उसे अपने कागजात लेकर दर-दर भटकना पड़ता है.
सपा प्रमुख ने इस दौरान भाजपा सरकार पर सवाल उठाए कि आखिर एसआईआर को लागू करने में इतनी जल्दबाजी क्यों की जा रही है? उन्होंने मौजूदा प्रक्रिया पर कई संदेह व्यक्त किए हैं.








