पटना न्यूज़: बिहार विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच का सियासी पारा पहले ही दिन चढ़ गया. 18वीं विधानसभा के पहले सत्र की शुरुआत हुई तो एक ओर नवनिर्वाचित विधायकों के चेहरे पर जोश दिखा, वहीं विपक्ष ने अपने तेवर साफ कर दिए. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के विधायक भाई वीरेंद्र के बयान ने बता दिया कि सदन के भीतर भले ही संख्या बल कम हो, लेकिन असली लड़ाई बाहर जनता के बीच लड़ी जाएगी.
सोमवार (01 दिसंबर, 2025) को 18वीं बिहार विधानसभा का पहला सत्र शुरू हुआ, और इस अवसर पर सभी नवनिर्वाचित विधायक खासे उत्साहित नजर आए. पहले दिन शपथ ग्रहण समारोह के साथ सदन की कार्यवाही की शुरुआत हुई, जिसमें विधायकों ने संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ ली.
विपक्ष का तेवर: भाई वीरेंद्र ने दी सीधी चेतावनी
इस मौके पर राष्ट्रीय जनता दल के कद्दावर विधायक भाई वीरेंद्र ने अपनी बातें मजबूती से रखीं. उन्होंने कहा कि:
- हम विधानसभा में अपनी बातें मजबूती से रखेंगे.
- हमने हमेशा सत्र में अपनी बात रखने का काम किया है, और हम सदन के अंदर तथा बाहर दोनों जगह ऐसा करते रहेंगे.
- हमारे 35 विधायक सदन में भले ही कम संख्या में हों, लेकिन बाहर हमारी संख्या काफी है. लोगों ने हमें अपना पूरा समर्थन दिया है, हमें एक करोड़ से ज्यादा वोट मिले हैं.
- उन्होंने चेतावनी दी कि अगर एक बार भी इशारा मिल जाए, तो हम पूरे बिहार में अपनी मौजूदगी का एहसास करा सकते हैं.
- अगर केंद्र सरकार इसी तरह बेईमानी और धोखा करती रही, तो कल जनता सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आएगी.
नई उम्मीदें और जनादेश का सम्मान
वहीं, आरजेडी के एक अन्य विधायक गौतम कृष्ण ने लोकतंत्र के मंदिर को नमन करते हुए कहा कि वे इस सत्र के सभी नेताओं और उन आम लोगों को दिल से सलाम करते हैं, जिन्होंने अपने वोटों के आशीर्वाद से उन्हें विधायक बनाया और सदन में भेजा है. उन्होंने कहा कि आज वे शपथ ले रहे हैं और जनता के भरोसे पर खरा उतरने का प्रयास करेंगे.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के विधायक अख्तरुल इमान ने भी पहले दिन अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि यह सदन बिहार के लोगों के आशीर्वाद से चलता है. गरीब लोगों के खून-पसीने की कमाई से ही जनप्रतिनिधि अपने घरों में आराम से बैठते हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि वे यहां बिहार के विकास और गरीबों, पिछड़ों तथा वंचितों को न्याय दिलाने के लिए आए हैं, और इस दिशा में काम करेंगे.
आरजेडी विधायक आलोक मेहता ने प्रधानमंत्री के कुछ पार्टियों को लेकर दिए गए बयानों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ये एक तरह का मजाक है, और किसी को भी जनता के जनादेश का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि लोगों ने जो भी जनादेश दिया है, उसे मानना चाहिए, और हम इसे मानते हैं. हालांकि, यह जनादेश कैसे आया, यह जांच और समीक्षा का विषय होना चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके लिए जनता के मुद्दे हमेशा सबसे ऊपर रहेंगे और संख्या बल सबसे जरूरी घटक नहीं है.








