पटना न्यूज़: बिहार की सियासत से बड़ी खबर सामने आ रही है, जहाँ सत्ता के गलियारों में पावर शेयरिंग का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है. 20 साल के लंबे इंतजार के बाद गृह विभाग जैसा भारी-भरकम मंत्रालय हाथ लगने के बाद अब बीजेपी ने सदन की सबसे शक्तिशाली कुर्सी पर भी अपनी दावेदारी ठोक दी है. सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि कौन होगा वो चेहरा, जो विधानसभा की कमान संभालेगा?
बिहार में नई एनडीए सरकार के गठन के बाद सोमवार को विधानसभा के पहले सत्र की शुरुआत हो गई है. इस नई सरकार में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की भूमिका पहले से कहीं ज्यादा मजबूत नजर आ रही है. मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण के बाद अब विभागों के बंटवारे में भी बीजेपी का दबदबा साफ दिख रहा है. सबसे बड़ी खबर यह है कि विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) का महत्वपूर्ण पद भी बीजेपी के खाते में जाना लगभग तय हो गया है.
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, गया से बीजेपी के वरिष्ठ विधायक प्रेम कुमार को बिहार विधानसभा का अगला अध्यक्ष बनाया जा सकता है. उनके नाम पर लगभग सहमति बन चुकी है और जल्द ही इसका औपचारिक ऐलान भी किया जा सकता है. प्रेम कुमार पार्टी के पुराने और अनुभवी नेता हैं, और उनकी छवि सभी दलों में सम्मानजनक मानी जाती है.
प्रेम कुमार का नाम सबसे आगे
विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए कई नामों पर चर्चा चल रही थी, लेकिन अंत में प्रेम कुमार का नाम इस दौड़ में सबसे आगे निकल गया. उनका लंबा संसदीय अनुभव और सभी दलों के नेताओं के साथ उनके बेहतर संबंध इस पद के लिए उनकी दावेदारी को और मजबूत करते हैं. यदि वह अध्यक्ष बनते हैं, तो सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाना उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी होगी.
यह नियुक्ति बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है. अब तक नीतीश कुमार की जदयू बड़े भाई की भूमिका में रहती थी, लेकिन इस बार बीजेपी ने अपनी शर्तों पर सरकार में बड़ी हिस्सेदारी हासिल की है.
20 साल बाद बदला सत्ता का समीकरण
इस बार के सत्ता परिवर्तन में जो सबसे बड़ा फेरबदल हुआ, वह गृह विभाग का बीजेपी के खाते में जाना है. करीब 20 सालों के बाद यह विभाग जदयू से निकलकर बीजेपी के पास आया है. इसके बाद अब विधानसभा अध्यक्ष का पद भी बीजेपी को मिलना यह दर्शाता है कि पार्टी सरकार और सदन, दोनों पर अपनी पकड़ मजबूत रखना चाहती है. नई सरकार में प्रमुख पदों का बंटवारा कुछ इस तरह हुआ है:
- गृह विभाग: बीजेपी के खाते में
- विधानसभा अध्यक्ष पद: बीजेपी के खाते में (संभावित)
यह नया पावर-शेयरिंग फॉर्मूला दिखाता है कि बीजेपी अब बिहार में सिर्फ एक सहयोगी दल की भूमिका में नहीं है, बल्कि सत्ता का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरी है. आने वाले दिनों में इस बदलाव का असर प्रदेश की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था पर भी देखने को मिलेगा.








