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2 दिसम्बर, 2025

बिजली बिल का झटका? बिहार में शुरू हुई दरों में बदलाव की तैयारी

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बिहार में रहने वालों के लिए एक बड़ी खबर है, जो सीधे आपकी जेब पर असर डाल सकती है। राज्य में बिजली की दरों को बदलने की कवायद शुरू हो गई है, और इससे पहले कि आप सोचें कि कितना फर्क पड़ेगा, यह जानना ज़रूरी है कि पूरा गणित कैसे काम करता है। अब देखना यह है कि बिजली कंपनियां क्या प्रस्ताव रखती हैं और नियामक आयोग का अंतिम फैसला क्या होगा।

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क्या है तैयारी और कौन करेगा फैसला?

दरअसल, दक्षिण बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (SBPDCL) और उत्तर बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (NBPDCL) ने बिजली दरों में संशोधन के लिए अपनी प्रारंभिक तैयारी शुरू कर दी है। इन दोनों कंपनियों की जिम्मेदारी है कि वे उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति करें और इसके लिए वे हर साल बिहार विद्युत विनियामक आयोग (BERC) के समक्ष टैरिफ याचिका दायर करती हैं।

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BERC एक स्वतंत्र नियामक संस्था है, जिसका काम बिजली कंपनियों द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों की समीक्षा करना और बिजली उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए दरों का निर्धारण करना है। कंपनियां अपने परिचालन खर्च, बिजली खरीद की लागत, बुनियादी ढांचे के रखरखाव और विकास की जरूरतों के आधार पर दरों में बदलाव का प्रस्ताव करती हैं।

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उपभोक्ताओं पर क्या होगा असर?

बिजली दरों में संभावित बदलाव का सीधा असर राज्य के घरेलू, वाणिज्यिक, औद्योगिक और कृषि उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। यह संभव है कि कुछ श्रेणियों के लिए दरों में वृद्धि हो, जबकि अन्य के लिए इसमें मामूली बदलाव या तर्कसंगतता लाई जा सकती है।

आयोग इन प्रस्तावों पर जन सुनवाई भी आयोजित करता है, जिसमें उपभोक्ता और अन्य हितधारक अपने विचार और आपत्तियां प्रस्तुत कर सकते हैं। आयोग इन सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद ही अंतिम फैसला लेता है, ताकि उपभोक्ताओं पर अनुचित बोझ न पड़े और बिजली कंपनियों को भी उनकी लागत वसूलने में मदद मिल सके।

बिजली कंपनियों का तर्क

अक्सर, बिजली कंपनियां दरों में वृद्धि का तर्क देते हुए कहती हैं कि उन्हें बिजली खरीदने की लागत में वृद्धि, पुराने बुनियादी ढांचे के उन्नयन और नए निवेश के लिए अधिक राजस्व की आवश्यकता है। उनका दावा होता है कि मौजूदा दरें उनके संचालन लागत को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, जिससे घाटा बढ़ रहा है और गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति में बाधा आ रही है।

हालांकि, अंतिम निर्णय बिहार विद्युत विनियामक आयोग द्वारा सभी तथ्यों, वित्तीय आंकड़ों और जन सुनवाई के दौरान प्राप्त इनपुट का विश्लेषण करने के बाद ही लिया जाएगा। राज्य के लाखों उपभोक्ताओं की निगाहें अब आयोग के अंतिम फैसले पर टिकी हैं।

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