पटना: बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही चल रही थी. एक-एक कर नवनिर्वाचित विधायक शपथ ले रहे थे. तभी एक विधायक अपनी सीट से उठे और शपथ लेने से पहले भोजपुरी में अपनी ‘गाथा’ सुनाने लगे, जिसके बाद सदन का पूरा माहौल ही बदल गया और सबकी निगाहें उन्हीं पर टिक गईं.
शपथ से पहले विनय बिहारी ने शुरू की ‘गाथा’
यह पूरा वाकया शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन का है. लौरिया विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक विनय बिहारी जब शपथ ग्रहण के लिए खड़े हुए, तो उन्होंने एक अलग ही अंदाज दिखाया. उन्होंने सबसे पहले प्रोटेम स्पीकर से भोजपुरी भाषा में शपथ लेने की अनुमति मांगी. अनुमति मिलने के बाद उन्होंने सीधे शपथ लेना शुरू नहीं किया, बल्कि भोजपुरी में एक कविता सुनाने लगे. उनके इस कदम ने सदन में मौजूद सभी सदस्यों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया.
प्रोटेम स्पीकर ने जताई आपत्ति, तो हुआ सवाल-जवाब
जैसे ही विनय बिहारी ने कविता पढ़नी शुरू की, आसंदी पर बैठे प्रोटेम स्पीकर ने उन्हें बीच में ही टोक दिया. स्पीकर ने उन्हें प्रक्रिया का पालन करते हुए सीधे शपथ पढ़ने का निर्देश दिया. इस पर विनय बिहारी भी चुप नहीं रहे. उन्होंने तुरंत प्रोटेम स्पीकर से सवाल किया, “क्या आप भोजपुरी को दर्जा नहीं देना चाहते हैं?” उनके इस सवाल से सदन में कुछ देर के लिए गरमागरम बहस का माहौल बन गया. दोनों के बीच हुई इस नोकझोंक ने सदन की औपचारिक कार्यवाही को एक दिलचस्प मोड़ दे दिया.
सदन में बदल गया माहौल
इस अप्रत्याशित घटनाक्रम के कारण विधानसभा का माहौल पूरी तरह बदल गया. जो कार्यवाही शांतिपूर्ण और औपचारिक तरीके से चल रही थी, वहां अचानक भाषा और प्रक्रिया को लेकर एक बहस छिड़ गई. विनय बिहारी के इस अंदाज ने उन्हें दिन की सबसे बड़ी सुर्खी बना दिया. यह घटना इस बात का भी प्रतीक बन गई कि कैसे क्षेत्रीय भाषाओं को मान्यता दिलाने का मुद्दा समय-समय पर विधायिका में उठता रहता है.








