नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा में भारतीय रुपये ने एक बार फिर डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की है। सप्ताह के दूसरे कारोबारी दिन मंगलवार, 2 दिसंबर को भारतीय रुपया 89.85 प्रति डॉलर के अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर फिसल गया। यह गिरावट तब हो रही है जब हाल ही में भारत के वित्तीय वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ दर 8.2 प्रतिशत के शानदार आंकड़े दर्ज किए गए हैं। रुपये में जारी यह गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत नहीं माने जा रहे हैं।
रुपये में लगातार गिरावट का दौर
साल 2022 में भी भारतीय रुपये ने इसी तरह की बड़ी गिरावट का सामना किया था, और अब 2025 में फिर से वही दबाव देखने को मिल रहा है। पिछले एक महीने के आंकड़ों पर नजर डालें तो रुपया लगभग 90 पैसे तक टूट चुका है। मंगलवार को विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 89.70 पर खुला, लेकिन कुछ ही समय में इसमें गिरावट दर्ज की गई और यह 89.85 के ऐतिहासिक निचले स्तर तक पहुंच गया। पिछले छह महीनों में रुपये में कुल गिरावट लगभग 4.4 फीसदी रही है।
अमेरिकी टैरिफ का असर और संभावित महंगाई
भारतीय रुपये पर अमेरिकी सरकार द्वारा लगाए गए टैरिफ का भी असर दिख रहा है, जिसके कारण करेंसी को अपेक्षित समर्थन नहीं मिल पा रहा है। पिछले कुछ दिनों से चल रही व्यापार वार्ता में भी अब तक कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई है। कई आधिकारिक बैठकों के बावजूद, दोनों देश किसी निर्णायक फैसले पर पहुंचने में नाकाम रहे हैं।
रुपये में लगातार जारी इस गिरावट का सीधा असर कई आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर पड़ने की आशंका है। खासकर, उन वस्तुओं के दाम बढ़ने की संभावना है जिनका व्यापार डॉलर में होता है। इनमें कच्चा तेल, सोना, मशीनरी और फर्टिलाइजर्स (उर्वरक) जैसी महत्वपूर्ण वस्तुएं शामिल हैं, जिनकी कीमतों में तेजी आ सकती है।








