क्यों जरूरी है मिट्टी की जांच?
कृषि विशेषज्ञों ने इस चौपाल में किसानों को सबसे पहले मिट्टी की जांच के महत्व के बारे में बताया. उन्होंने समझाया कि हर खेत की मिट्टी एक जैसी नहीं होती. किसी में किसी पोषक तत्व की कमी होती है तो किसी में अधिकता. बिना जांच के अंधाधुंध उर्वरक डालना वैसा ही है, जैसे बिना बीमारी जाने कोई दवा खा लेना. इससे न केवल पैसे की बर्बादी होती है, बल्कि खेत की उर्वरा शक्ति भी धीरे-धीरे खत्म हो जाती है.
किसानों को सलाह दी गई कि वे फसल की बुवाई से पहले अपने खेत की मिट्टी का नमूना लेकर कृषि विज्ञान केंद्र या नजदीकी लैब में जांच जरूर कराएं. इस जांच से यह पता चल जाता है कि मिट्टी में किन-किन पोषक तत्वों की कमी है और उन्हें कितनी मात्रा में डालना चाहिए. मिट्टी की जांच के फायदे:
- खेत की सेहत का सटीक पता चलता है.
- किस उर्वरक की कितनी जरूरत है, इसकी सही जानकारी मिलती है.
- अनावश्यक खाद पर होने वाले खर्च में भारी कमी आती है.
- फसल की पैदावार और गुणवत्ता दोनों में बढ़ोतरी होती है.
संतुलित उर्वरक: कम लागत, ज्यादा मुनाफा
चौपाल का मुख्य फोकस उर्वरकों के संतुलित प्रयोग पर था. विशेषज्ञों ने बताया कि अक्सर किसान अधिक पैदावार के लालच में नाइट्रोजन (यूरिया) का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, जबकि फास्फोरस, पोटाश और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों पर ध्यान नहीं देते. इस असंतुलन से फसल का विकास तो प्रभावित होता ही है, साथ ही मिट्टी की संरचना भी खराब होती है.
किसानों को समझाया गया कि मिट्टी जांच की रिपोर्ट के आधार पर ही उर्वरकों का चयन करें और अनुशंसित मात्रा में ही उनका प्रयोग करें. इससे लागत घटेगी और जब फसल को सही और संतुलित पोषण मिलेगा तो पैदावार अपने आप बढ़ेगी. इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को पारंपरिक खेती के तरीकों से निकालकर वैज्ञानिक और आधुनिक खेती की ओर प्रेरित करना था, ताकि उनकी आय में वृद्धि हो सके. चौपाल में मौजूद किसानों ने भी इस जानकारी को बेहद उपयोगी बताया और इसे अपनाने का संकल्प लिया.








